शबे कद्र की रात दुआयें होती हैं कबूल
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शिया जामा मास्जिद में रात भर पढ़ी गयी नमाजें हुयी कुरान की तेलावत व आमाल
जौनपुर।
23वीं शदी शबे कद्र की रात मे शिया जामा मस्जिद नवाब बाग कसेरी बाजार में
शबे कद्र की विशेष नमाज एवं आमाल इमामें जुमा मौलाना महफुजुल खां की कयादत
में अन्जाम दिये गये। इमामे जुमा मौलाना महफुजुल हसन खां ने शबे कद्र के
महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि शबे कद्र की इस्लाम में बहुत अहमियत है
क्योकि इसी रात में कुरान नाजिल किया गया। पैगम्बरे इस्लाम हजरत मोहम्मद
(स.अ.व.) ने रमजान की आखिरी 10 रातो में शबे कद्र की तलास करने का हुक्म
दिया है। इन 10 रातो में से जो 2 की संख्या से न कट पाये यानी ताक राते
अर्थात शबे 19, शबे 21, शबे 23, शबे 25, शबे 27, शबे 29, अल्लाह के रसूल
हजरत मोहम्मद (स.अ.व.) ने रमजान के अखिरी असरे यानी 21 से 20 रमजान तक
मस्जिदो में एतेकाफ करने वालो की दुआवो के कबूल होने की भी बात कही है।
शिया जामा मस्जिद के मुतवल्ली/ प्रबन्धक अली मंजर डेजी ने बताया कि लगभग एक
हजार लोगो ने ेिषया जामा मस्जिद में शबे कद्र में रात भर नमाजे व कुरान की
तेलावत विशेष आमाल को अंजाम दिया। और अपने गुनाहो की माफी की दुआएं और
अपनी कुनबो की तरक्की के लिए दुआएं की। शबे कद्र की निमते जिसे हाशिल नही
हुयी वह बदनसीब है क्योकि सबे कद्र गुनाहो से निजात हासिल करने की रात है व
दुआओं के कबूल होने की भी रात है। रात भर शिया जामा मस्जिद में लोगो ने
इबादत किया और सेहरी खाकर नमाजे सुबह अदा करके ही लोग मस्जिद से गये शिया
जामा मस्जिद इन्तेजामिया कमेटी के जानिब से रात भर फिल्टर के ठन्डे पानी,
चाय, काफी व दुध की उत्तम व्यवस्था की गयी थी। कमेटी के लोगो के साथ साथ
आयोजन को सफल बनाने में मुख्य रूप से पप्पू हाईटेक, मुनीर सीकड़वाला, तहसीन
अब्बास सोनी, एम एम हीरा, हाशिम खां, अहमद, शहजादे, ए एम डेजी, इसरार ने
सहयोग किया।

