धान के किसानों को मुंह चिढ़ा रही उड़ती धूल

जौनपुर। बादलों की आंख मिचैली, विद्युत दुव्र्यवस्था, धूल उड़ाती नहर व उससे जुड़े रजवाहा और माइनर धान के किसानों के लिए मुसीबत बने हुए हैं। बिजली न मिलने से सिचाई के वैकल्पिक साधन भी महज शो-पीस बने हुए हैं।मुफ्त सिचाई का दावा प्रदेश सरकार भले ही करती है, लेकिन जब नहर ही नहीं चलाई जा रही है तो भला सिचाई कैसे हो सकेगी। आसमान मंे घुमड़ते बादल दगा दे रहे है और खेतांे उड़ रही धूल किसानों को मुंह चिढ़ा रही है। भीषण गर्मी में अधाधुन्ध बिजली कटौती से  सिचाई व्यवस्था ठप होने के कारण धान की नर्सरी तैयार नहीं हो पा रही है। इस दुव्र्यवस्था से किसानों के माथे पर बल पड़ गए हैं।   माइनर सूखे होने के कारण कई दर्जन गांवों किसान धान के नर्सरी की तैयारी व पशु चारे की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं। वहीं बिजली की अघोषित कटौती व कम वोल्टेज की समस्या के चलते नलकूप संसाधन से जुड़े किसान भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। किसानों ने बताया कि यदि शीघ्र बारिश न हुई तो  किसान बर्बादी की कगार पर आकर खड़े हो जाएंगे।

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