यज्ञ का अर्थ सत्कर्म: अतुल द्विवेदी
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जौनपुर। गायत्री प्रज्ञा मण्डल जज कालोनी चार दिवसीय चल रहे नौ कुण्डीय गायत्री महायज्ञ शनिवार को साधकों को योग का प्रशिक्षण दिया गया। योगाचार्य अभिषेक मिश्र ने सूर्य नमस्कार, पवन मुक्तासन श्रृंखला के कई आसनों का अभ्यास कराया। इसके बाद नौ कुण्डीय गायत्री महायज्ञ चलता रहा। यज्ञ आठ पारियों में हुआ जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इस अवसर पर शान्तिकुन्ज हरिद्वार से आये अतुल द्विवेदी ने कहा कि यज्ञ का अर्थ सत्कर्म , सदविवेक है। जब विवेक जागृत होगा। तभी हम सत्कर्म कर सकते हैं। मानव जन्म की सार्थकता सत्कर्म करने व सत्य के रास्ते के पर चलने में ही है अन्यथा पशु और मनुष्य में कोई अन्तर नहीं रह जायेगा। सांयकाल भजन और 1051 दीपों से प्रज्ञामण्डल जगमगा गया। दीप यज्ञ पर देश बन्धु पद्माकर मिश्र ने कहा कि दीप हमे तिल-तिल कर जलने की प्रेरणा देता है। जिस प्रकार दीप अपने अन्तिम समय तक अन्धकार से लड़ता रहता है। हमें भी मष्तिष्क के अज्ञान रूपी अन्धकार से लड़ना चाहिए।