आठ साल से बजट हजम, स्वच्छता अभियान बेमानी
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जौनपुर। जिले के गांवों में स्वच्छता मुहिम को जिम्मेदार ही पलीता लगा रहे हैं। नगर एवं कस्बों की तरह सभी गांवों में साफ-सफाई के लिए वर्ष 2008 में सफाई कर्मियों की नियुक्ति की गई। शुरूआत में इनको सफाई किट मुहैया कराए गए। इसके बाद से यह बंटा ही नहीं और बजट खपता गया। इस तरह आठ साल से बिना उपकरण के ही सफाई कर्मियों से काम कराया जा रहा है। ग्राम पंचायत में नियमित साफ सफाई के लिए उपकरण क्रय करने को 18 हजार मिलते हैं। यह धन जिले में आता है और खर्च हो जाता है । इसकी भनक सफाई कर्मियों को नहीं लग पाती। उपकरण की अनुपलब्धता को लेकर पिछले चार साल से सफाई कर्मी आंदोलित हैं लेकिन यह मांग जिले में ही दबकर रह गई है। डीपीआरओ, एडीओ पंचायत से लेकर प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी बजट हजम करते रहे और सफाई कर्मियों के हाथ में 25 रुपये का एक झाड़ू थमा दिया गया। सफाई कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष संजय कुमार चैधरी ने बताया है कि सफाई उपकरण के लिए हर साल धन आता है। उपकरण के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत को 18 हजार दिए जाते हैं। यह धन खर्च हो जाता है और उपकरण नहीं खरीदे जाते। भर्ती होने के समय ही पूरा सफाई किट दिया गया। इसके बाद से इसका वितरण नहीं किया गया। ग्रामीणों के आक्रोश से बचने के लिए कर्मी वेतन के पैसे से फावड़ा और झाड़ू क्रय करते हैं। सफाई कर्मियों के उपकरण और सालाना बजट के सवाल पर विभाग चुप्पी साध लेते है।