नौंवी और ग्यारहवीं कक्षा में प्रवेश को लेकर मारामारी

जौनपुर। जुलाई महीना आते ही जुलाई महीना आते ही नौंवी और ग्यारहवीं कक्षा में प्रवेश को लेकर मारामारी शुरू हो गई है। सरकारी के साथ कुछ चु¨नदा विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की कतार लगी है। विद्यालय प्रशासन सीमित सीटें होने के कारण मेधावियों को ही अपने विद्यालय में स्थान देना चाहते हैं। यही वजह है कि अधिकांश विद्यालयों में परीक्षा के बाद प्रवेश की अनुमति दी जा रही है। हालांकि कई प्राइवेट विद्यालयों में प्रवेश आसानी से मिल रहा है। बच्चों के सामने बड़ी समस्या है कि किसी विद्यालय में मैथ तो कहीं पर साइंस विषय का अभाव है। आठवीं कक्षा पास करने के बाद विभिन्न विषयों का चुनाव तय कर चुके विद्यार्थी अपने पसंदीदा विद्यालय में प्रवेश पाना चाहते हैं। किसी विद्यालय में मैथ है तो कहीं पर सिर्फ कला वर्ग से ही दाखिला मिल रहा है। कई जगह छात्र-छात्राओं की सीटें सीमित कर दी गई हैं। विद्यालय प्रशासन के सामने भी बड़ी दिक्कत है कि उनके विद्यालय की पास आठवीं कक्षा के ज्यादातर विद्यार्थियों का दाखिला देना है। साथ ही दूसरे विद्यालयों से आने वाले बच्चों को भी प्रवेश देना है। यदि जीआइसी, जीजीआइसी, आर्य कन्या इंटर कालेज पर गौर करें तो ज्यादातर विद्यालयों में औसतन पांच सौ से अधिक बच्चों के दाखिले का आवेदन आ सकता है। ऐसे में सभी का एडमिशन मुश्किल है। आर्य कन्या इंटर कालेज की प्रधानाचार्य उर्मिला देवी ने बताया कि कक्षा नौ में चार सेक्शन हैं। जिसमें औसतन सौ-सौ छात्राओं का एडमिशन होता है। इसमें भी आठवीं कक्षा की छात्राओं को पहले दाखिला देना है। इसके बाद दूसरे विद्यालयों के बच्चों का। यही हाल ग्यारहवीं कक्षा के बच्चों का है। जीआइसी के प्रधानाचार्य का कहना है कि हमारे यहां बच्चों के दाखिले की सीमा नहीं है। कोशिश करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा बच्चों का एडमिशन हो। लेकिन कक्षाओँ की सीटें और उनके पंसदीदा विषय अक्सर बाधक बनते हैं। छात्रा पूनम, रुकमणी, रुचि, अनुराधा ने बताया कि कई विद्यालयों में साइंस की सौ या 60 सीटें उपलब्ध हैं। जबकि बच्चे ढाई सौ से ज्यादा हैं। ऐसी स्थिति में सभी जुगत में लगे हुए हैं। शुरू हो गई है। सरकारी के साथ कुछ चुनिदा विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की कतार लगी है। विद्यालय प्रशासन सीमित सीटें होने के कारण मेधावियों को ही अपने विद्यालय में स्थान देना चाहते हैं। यही वजह है कि अधिकांश विद्यालयों में परीक्षा के बाद प्रवेश की अनुमति दी जा रही है। हालांकि कई प्राइवेट विद्यालयों में प्रवेश आसानी से मिल रहा है। बच्चों के सामने बड़ी समस्या है कि किसी विद्यालय में मैथ तो कहीं पर साइंस विषय का अभाव है। आठवीं कक्षा पास करने के बाद विभिन्न विषयों का चुनाव तय कर चुके विद्यार्थी अपने पसंदीदा विद्यालय में प्रवेश पाना चाहते हैं। किसी विद्यालय में मैथ है तो कहीं पर सिर्फ कला वर्ग से ही दाखिला मिल रहा है। कई जगह छात्र-छात्राओं की सीटें सीमित कर दी गई हैं। विद्यालय प्रशासन के सामने भी बड़ी दिक्कत है कि उनके विद्यालय की पास आठवीं कक्षा के ज्यादातर विद्यार्थियों का दाखिला देना है। साथ ही दूसरे विद्यालयों से आने वाले बच्चों को भी प्रवेश देना है। यदि जीजीआइसी, टीडी इंटर कालेज तथा कुछ निजी स्कूल पर गौर करें तो ज्यादातर विद्यालयों में औसतन पांच सौ से अधिक बच्चों के दाखिले का आवेदन आ सकता है। ऐसे में सभी का एडमिशन मुश्किल है। अन्य विद्यालयों में  औसतन सौ-सौ छात्राओं का एडमिशन होता है। इसमें भी आठवीं कक्षा की छात्राओं को पहले दाखिला देना है। इसके बाद दूसरे विद्यालयों के बच्चों का। यही हाल ग्यारहवीं कक्षा के बच्चों का है। छात्राओं ने बताया है कि कई विद्यालयों में साइंस की सौ या 60 सीटें उपलब्ध हैं। जबकि बच्चे ढाई सौ से ज्यादा हैं। ऐसी स्थिति में सभी जुगत में लगे हुए हैं।

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