राजस्व को चूना लगा रहे चिकित्सक

  जौनपुर। प्रदेश सरकार राजस्व का एक बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य विभाग पर खर्च करती है। राजस्व से ही अपनी सेवा के एवज में सरकारी चिकित्सक वेतन पातें है और सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर अपनी हाजरी लगाते है लेकिन जब वही चिकित्सक वेतन तो ले सरकारी चिकित्सालयों में बैठने का पर बैठते हो अपने ही निजी चिकित्सालय में तो इसे क्या कहेंगे। मामला है तहसील केराकत के समुदायिक केंद्र का, यहाँ के चिकित्सक अधीक्षक पद पर तैनात   सप्ताह के एक दिन ही समुदायिक केंद्र पर दिखाई पड़ते है। वे वेतन तो सरकार से लेते है पर सेवा अपने निजी चिकित्सालय पर देते है। कई महीनों से वह राजस्व को बड़े ही सफाई से चूना लगा रहे है। इस बात से तो मरीज भी अनजान रहते है कि वे किससे अपना इलाज करा रहे है। मरीज को तो अपनी परेशानी से छुटकारा मिले तब वह चिकित्सकों की उपलब्धता जाँचे। सवाल उठता है के बायोमैट्रिक हाजरी को अनिवार्यता तो कर दिया गया है  पर इसका अनुपालन कहां तक हो पाता है। क्या सरकारी  महकमे के लोग राजस्व को ऐसे ही चूना लगाते रहेंगे। इन पर नकेल कसने के लिए सरकार को कोई ठोस कदम नहीं उठाने चाहिए।

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