डा. क्षेम ने समाज को उपयोगी संदेश दिया : अशोक सिंह
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जौनपुर। साहित्य वाचस्पति डा. श्रीपाल सिंह क्षेम आशावादी कवि थे। उनकी कविताएं युवाओं में उत्साह का संचार करती है। उक्त उद्गार जिलाधिकारी सर्वज्ञ राम मिश्र ने डा. श्रीपाल सिंह क्षेम के जन्म दिवस पर आयोजित समारोह में व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि डा. क्षेम का काव्य छायावाद से प्रभवित है। क्षेम जी ने अपनी रचनाओं में आंचलित शब्दों का प्रयोग किया है। डा. क्षेम ने राष्ट्र की ज्वलंत समस्याओं पर भी लेखनी चलायी है। पुलिस अधीक्षक शैलेश कुमार पांडेय ने अपने संबोधन में कहा कि हमें परिस्थितियों से घबराकर भागना नहीं चाहिए। डा. क्षेम की कविता जभी से जगे रे भाई तभी से सवेरा है। हमें ऐसा ही संदेश देती है। उन्होंने साहित्य के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि जटिल से जटिल चीजों को कवि एक लय में, कम से कम शब्दों में पिरो देता है। पूर्व कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव ने कहा कि डा. क्षेम मानवता के पुजारी रहे। उनमें जाति पाति या ऊंच नीच का भेदभाव नहीं था। सांसद रामचरित्तर निषाद ने अपने उद्बोधन में कहा कि डा. क्षेम ने समाज को उपयोगी संदेश दिया है। उनकी स्मृति को संजाये रखने के लिये उनकी प्रतिमा स्थापित की जानी चाहिए। विधान परिषद के सदस्य बृजेश कुमार सिंह प्रिंसू , विधयक डा. हरेन्द्र प्रताप सिंह, विधायक दिनेश चौधरी, महाराष्ट्र के उद्योगपति अशोक कुमार सिंह ने डा. क्षेम की प्रतिमा की स्थापना में सहयोग देने का संकल्प व्यक्त किया। इसके उपरांत कवि सम्मेलन एंव मुशायरे के कार्यक्रम का उद्घाटन तिलकधारी महाविद्यालय के प्रबंधक अशोक कुमार सिंह ने किया। आमंत्रित कवियों को शाल एंव स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर क्षेमस्विनी युवा के सदस्यों ने ऋषि प्रकाश सिंह, सौरभ सिंह विक्की, अंशुमान सिंह मोनू, प्रशांत सिंह, रोहित जायसवाल, कमलेश मौर्या, शशिशेखर सिंह, शशिन्द्र प्रताप सिंह एडवोकेट,रणंजय सिंह, महर्षि सेठ, जेड़ हुसैन, राजेश मौर्या, राजीव पाठक साइबर इन्स्टीच्यूट, प्रशांत सिंह, शिवम् सिंह छात्र नेता ने आये हुए अतिथियों का बैच लगाकर स्वागत किया। कवि सम्मेलन का शु•ाारं•ा गीतकार •ाालचन्द्र त्रिपाठी ने -माई नेहिया के दियना जरावेलू सुबुधि जगकावेलू ना सरस्वती वंदना से किया। इसके उपरांत शशांक देव सिंह ने देखा के के कोइलिया बोलावत बाय, गीत के माध्यम से श्रोताओं को श्रृंगार रस में डुबो दिया। प्रतापगढ़ से पधारे डा. रणजीत सिंह ने- देश में कोई •ाूखा न नंगा रहे। ना ही दहशत रहे ना ही दंगा रहे।। सरहदें देश की जब पुकारे हमें, हम रहे ना रहे, यह तिरंगा रहे।। जैसी कविताओं से राष्टÑीय चेतना जगाने का कार्य किया। गोरखपुर की धरती से आये गीतकार मनमोहन मिश्र ने-प्रेम की बांसुरी, स्रेह की तान थे। कर्मयोगी थे वे ज्ञान की खान थे।। मेरे गुरूवर सा कोई नहंी दूसरा, जौनपुर ही नहीं देश की शन थे।। जैसी पंक्तियों से डा. क्षेम के व्यक्तिव को रेखांकित किया। उन्होंने खड़ी बोली एंव •ोजपुरी गीतों से कार्यक्रम को ऊंचाई दी। बिहार से पधारे शंकर कैमूरी ने-जब सवाल आयेगा देश की आन पर, मोम के जिस्म लोहे में ढल जायेंगे, मोम की •ाी तो कोई हकीकत हीं, पत्थरों के कलेजा पिघल जायेंगे। जैसी पंक्तियों से राष्टÑीय ऊर्चा का संचार किया। हास्य रस के कवि अखिलेश द्विवेदी ने- जो है पढ़े लिखे सब सन्तरी बने, जिसने विवाह करके पत्नी को छोड़ दी वह हमारे देश के प्रधानमंत्री बने।। जैसी कविताओं से लोगों को ठहाके लगाने के लिए बाध्य कर दिया। समारोह में जिला पंचायत अध्यक्ष राजबहादुर यादव निवर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष दिनेश टंडन, टीडी के प्राचार्य डा. विनोद कुमार सिंह, विधायक दिनेश चौधरी, डा. समरबहादुर सिंह, वीरेन्द्र सिंह एडवोकेट, संतोष श्रीवास्तव, जयप्रकाश सिंह एडवोकेट, जयप्रकाश साथी, रामकृष्ण त्रिपाठी, पं. चन्द्रेश मिश्र, डा. आदित्य सिंह, डा. पीपी दुबे, विनय कुमार सिंह, लल्लन सिंह, सर्वेश सिंह आदि ने डा. क्षेम के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। संचालन मधुकर तिवारी ने किया। आगन्तुकों का अ•िावादन क्षेमस्विनी के संयोजक ओम प्रकाश सिंह एंव शशिमोहन सिंह क्षेम तथा आ•ाार ज्ञापन संस्थाध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह ने किया।