स्वर्गीय राकेश पाठक का गीत सुनने के लिए रूक जा रहे है लोगो का पांव
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जौनपुर। भोजपुरी भक्ति गीत गायक राकेश पाठक के स्वर्गवास हुए आज पांच वर्ष पूर्ण हो गया। वे आज इस दुनियां मंे नही है लेकिन उनके द्वारा गाया गया मां के गीत आज दुर्गा पण्डालों बज रहा है। राकेश का गीत सुनने के लिए लोगो पैर रूक जा रहा है। उनके गीतो के मुरीद आज भी उन्हे याद करके उनकी चर्चा करते रहते है।
मूल रूप लाईनबाजार थाना क्षेत्र के फूलपुर गांव के निवासी राकेश पाठक मधुर बचपन से ही देवी मां के भक्त थे। मां सरस्वती ने उन्हे अपना आर्शीवाद दे रखी। वे विद्यार्थी जीवन में ही स्कूल के वार्षिक उत्सव में मातारानी और भोलेनाथ का गुणगान अपने गीतो के माध्यम से करते थे। उनकी प्रतिभा के कारण स्कूल सभी छात्र और शिक्षक उनके मुरीद हुआ करते थे। राकेश पढ़ाई पूरी होने के बाद संगीत को ही अपने जीवन यापन का जरिया बना लिया था। राकेश पाठक ने दर्जनो ऐसे भोजपुरी भक्ति गीत गाया कि पूरे देश मंे संगीत की दुनियां में अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब हो गये थे। राकेश का व्यक्तित्व ऐसा था कि उनके चाहने वाला हर व्यक्ति यही सोचता था कि मुझसे से ज्यादा करीबी राकेश का कोई नही है। लेकिन अल्प आयु में ही में 23 अक्टुबर 2012 को विमारी के कारण उनकी मौत हो गयी। यह संजोग कहा जाय या मातारानी की महिमा कि राकेश नवरात्र में ही इस दुनियां को छोड़कर चले गये थे। उनके मौत के बाद पूरा जिला गम के माहौल में डूब गया था। फिलहाल आज राकेश पाठक इस दुनियां नही है लेकिन उनके गीत आज दुर्गापूंजा पाण्डालो में गुंज रहे है। जिसके कारण उनकी मातारानी की दरबार उनकी हाजिरी लग रही है।
मूल रूप लाईनबाजार थाना क्षेत्र के फूलपुर गांव के निवासी राकेश पाठक मधुर बचपन से ही देवी मां के भक्त थे। मां सरस्वती ने उन्हे अपना आर्शीवाद दे रखी। वे विद्यार्थी जीवन में ही स्कूल के वार्षिक उत्सव में मातारानी और भोलेनाथ का गुणगान अपने गीतो के माध्यम से करते थे। उनकी प्रतिभा के कारण स्कूल सभी छात्र और शिक्षक उनके मुरीद हुआ करते थे। राकेश पढ़ाई पूरी होने के बाद संगीत को ही अपने जीवन यापन का जरिया बना लिया था। राकेश पाठक ने दर्जनो ऐसे भोजपुरी भक्ति गीत गाया कि पूरे देश मंे संगीत की दुनियां में अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब हो गये थे। राकेश का व्यक्तित्व ऐसा था कि उनके चाहने वाला हर व्यक्ति यही सोचता था कि मुझसे से ज्यादा करीबी राकेश का कोई नही है। लेकिन अल्प आयु में ही में 23 अक्टुबर 2012 को विमारी के कारण उनकी मौत हो गयी। यह संजोग कहा जाय या मातारानी की महिमा कि राकेश नवरात्र में ही इस दुनियां को छोड़कर चले गये थे। उनके मौत के बाद पूरा जिला गम के माहौल में डूब गया था। फिलहाल आज राकेश पाठक इस दुनियां नही है लेकिन उनके गीत आज दुर्गापूंजा पाण्डालो में गुंज रहे है। जिसके कारण उनकी मातारानी की दरबार उनकी हाजिरी लग रही है।
Naman hai
जवाब देंहटाएंNaman hai
जवाब देंहटाएंशत शत नमन है
जवाब देंहटाएंवो हमारे हृदय मे आज भी अपनी मधुर आवाज़ के साथ है