नरेन्द्र मोदी सरकार की साख पर बट्टा लगा रहा डाक महकमा
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जौनपुर। अच्छे दिन आने की उम्मीद लिए केन्द्र में नरेन्द्र मोदी व सूबे में बीजेपी की सरकार बनाने के लिए वोट डालने वालों के सपने बिखरने लगे हैं। केन्द्र के ही महकमों के कामकाज में कोई बदलाव नहीं आया ऐसे में सूबे की सरकार के दफ्तरों में सुधार होने की उम्मीद ही कैसे की जा सकती है। एक तरफ प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी लाल किले की प्राचीर से युवाओं को रोजगार देने का एलान कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ डाक विभाग मृतक आश्रित को ही उसका हक न देकर नरेन्द्र मोदी की साख पर बट्टा लगा रहा है। भ्रष्टाचार की अहम कड़ी माने जाने वाले बाबुओं को पी0एम0 नरेन्द्र मोदी सार्वजनिक सभाओं तक में नसीहत दे चुके हैं। जिसके इतर डाक अधीक्षक कार्यालय के बाबू अपनी कार्यशैली में कोई बदलाव करने को तैयार नहीं दिख रहे हैं। नजीर के तौर पर पेश है डाक महकमें का एक मामला। एक कर्मचारी के इंतकाल के 7 बरस बीत चुके हैं सुविधा शुल्क न देने के कारण आश्रित को अभी तक अनुकम्पामूलक नियुक्ति नहीं मिल सकी है।
गौरतलब हो कि दीवानी न्यायालय परिसर स्थित उपडाकघर में ग्रामीण डाक सेवक के पद पर कार्यरत रहे जफराबाद नगर के नासही मोहल्ला निवासी सैयद मुहम्मद जकी की सेवाकाल के दौरान 16 मई 2011 को इंतकाल हो गया। मृतक के ज्येष्ठ पुत्र सैयद फैजान आब्दी ने अनुकम्पामूलक नियुक्ति हेतु 24 जनवरी 2012 में डाक अधीक्षक कार्यालय में दावा प्रस्तुत किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना आदर्श मानते हुए न खाऊंगा न खाने दूंगा की तर्ज पर चल रहा पीड़ित सैयद फैजान आब्दी का आरोप है कि डीलिंग क्लर्क एवं सत्यापन अधिकारी उपमण्डलीय निरीक्षक (डाक) द्वारा मांगी गयी सुविधा शुल्क देने से इंकार कर देने के कारण उसे तरह-तरह से परेशान किया जा रहा है। कभी कार्यालय द्वारा आवेदक को लेटर भेज कर बताया जाता है कि आपने अमुक कागजात नहीं जमा किया है जब आवेदक उसकी रिसीविंग दिखाता है तो कहा जाता है कि कार्यालय प्रति मिस्प्लेस हो गयी थी तो कभी उसके द्वारा जमा कागजात को सत्यापित करने से इंकार कर दिया जाता है। विगत 7 साल से डाक विभाग पत्राचार करके मृतक आश्रित को कार्यालय का चक्कर काटने पर मजबूर कर रहा है। हालांकि आश्रित ने इसकी लिखित शिकायत जनप्रतिनिधि से लेकर संचार मंत्री सहित विभाग के तमाम उच्चाधिकारियों से भी की लेकिन वह केवल नक्कार घर में तूती की आवाज बनकर रह गयी। देखिए कब उसे न्याय मिलता है।
गौरतलब हो कि दीवानी न्यायालय परिसर स्थित उपडाकघर में ग्रामीण डाक सेवक के पद पर कार्यरत रहे जफराबाद नगर के नासही मोहल्ला निवासी सैयद मुहम्मद जकी की सेवाकाल के दौरान 16 मई 2011 को इंतकाल हो गया। मृतक के ज्येष्ठ पुत्र सैयद फैजान आब्दी ने अनुकम्पामूलक नियुक्ति हेतु 24 जनवरी 2012 में डाक अधीक्षक कार्यालय में दावा प्रस्तुत किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना आदर्श मानते हुए न खाऊंगा न खाने दूंगा की तर्ज पर चल रहा पीड़ित सैयद फैजान आब्दी का आरोप है कि डीलिंग क्लर्क एवं सत्यापन अधिकारी उपमण्डलीय निरीक्षक (डाक) द्वारा मांगी गयी सुविधा शुल्क देने से इंकार कर देने के कारण उसे तरह-तरह से परेशान किया जा रहा है। कभी कार्यालय द्वारा आवेदक को लेटर भेज कर बताया जाता है कि आपने अमुक कागजात नहीं जमा किया है जब आवेदक उसकी रिसीविंग दिखाता है तो कहा जाता है कि कार्यालय प्रति मिस्प्लेस हो गयी थी तो कभी उसके द्वारा जमा कागजात को सत्यापित करने से इंकार कर दिया जाता है। विगत 7 साल से डाक विभाग पत्राचार करके मृतक आश्रित को कार्यालय का चक्कर काटने पर मजबूर कर रहा है। हालांकि आश्रित ने इसकी लिखित शिकायत जनप्रतिनिधि से लेकर संचार मंत्री सहित विभाग के तमाम उच्चाधिकारियों से भी की लेकिन वह केवल नक्कार घर में तूती की आवाज बनकर रह गयी। देखिए कब उसे न्याय मिलता है।