सोमवती अमावस्या पर अखण्ड सौभाग्य के लिए पूजन

जौनपुर। महिलाओं ने अखण्ड सौभाग्य के लिए सोमवती अमावस्या के अवसर पर सोमवार को विधि विधान से पूजन किया। नगर के विभिन्न क्षेत्रों में मन्दिरों के पास पीपल के वृक्ष के समीप महिलाओं की टोली परिक्रमा करती देखी गयी। ज्ञात हो कि सोमवती अमावस्या कलयुग के कल्याणकारी पर्वो में से एक है, लेकिन सोमवती अमावस्या को अन्य अमावस्याओं से अधिक पुण्य कारक मानने के पीछे भी पौराणिक एवं शास्त्रीय कारण है। सोमवार को भगवन शिव एवं चंद्र का दिन माना जाता है। सोम यानि चन्द्रमा अमावस्या और पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा यानि सोमांश या अमृतांश सीधे-सीधे पृथ्वी पर पड़ता है। शास्त्रो के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन चन्द्रमा का अमृतांश पृथ्वी पर सबसे अधिक पड़ता है। अमावस्या अमा और वस्या  दो शब्दों से मिलकर बना है।  शिव पुराण में इस संधि विच्छेद को भगवान् शिव ने माँ पार्वती को समझाया था।क्योंकि सोम को अमृत भी कहा जाता है अमा का अर्थ है एकत्रित करना और वास को वस्या कहा गया है। यानि जिसमे सभी वास करते हो वह अति पवित्र अमावस्या कहलाती है यह भी कहा जाता है की सोमवती अमावस्या में भक्तो को अमृत की प्राप्ति होती है। निर्णय सिंधु व्यास के वचनानुसार इस दिन मौन रहकर स्नान-ध्यान करने से सहस्त्र गौ दान का पूण्य मिलता है।  शास्त्रो के अनुसार पीपल की परिक्रमा करने से ,सेवा पूजा करने से, पीपल की छाया से,स्पर्श करने से समस्त पापो का नाश,अक्षय लक्ष्मी की प्राप्ति होती है व आयु में वृद्धि होती है। पीपल के पूजन में दूध, दही, मिठाई,फल, फूल,जनेऊ, का जोड़ा चढाने से और घी का दीप दिखाने से भक्तो की सभी मनोकामनाये पूरी होती है।कहते है की पीपल के मूल में भगवान् विष्णु तने में शिव जी तथा अगर भाग में ब्रह्मा जी का निवास है।इसलिए सोमवार को यदि अमावस्या हो तो पीपल के पूजन से अक्षय पूण्य लाभ तथा सौभाग्य की प्राप्ति होती है।इस दिन विवाहित स्त्रियों द्वारा पीपल के पेड़ की दूध,जल,पुष्प,अक्षत,चन्दन आदि से पूजा और पीपल के चारो और 108 बार धागा लपेट कर परिक्रमा करने का विधान होता है और हर परिक्रमा में कोई भी मिठाई या फल चढाने से विशेष लाभ होता है। ये सभी 108 फल या मिठाई परिक्रमा के बाद ब्राह्मण या निर्धन  को दान करे।इस प्रक्रिया को कम से कम 3 सोमवती तक करने से सभी समस्याओ से मुक्ति मिलती है।इस प्रदक्षिणा से पितृ दोष का भी निश्चित समाधान होता है। इस दिन जो भी स्त्री तुलसी या माँ पार्वती पर सिंदूर चढ़ा कर अपनी मांग में लगाती है वह अखंड सौभाग्यवती बनी रहती है।

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