खाद्य पदार्थो के हर चीज में हो रही मिलावट
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जौनपुर। खाद्य पदार्थो में मिलावट के चलते घर पर बना खाना भी सुरक्षित नहीं रह गया है। बेसन में सिथेटिक रंग और दूध में डिटर्जेंट व सोड़ा मिलाया जा रहा है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के आंकड़े चैकाने वाले हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में विभाग ने खाद्य पदार्थो के जितने सैंपल जांच को भेजे उनमें से 60 फीसद फेल हुए हैं। दूध, घी और बेसन समेत कई खाद्य पदार्थ सेहत के लिए असुरक्षित पाए गए। जिले में मिलावट खोरी का धंधा जोरों पर है। हर चीज में मिलावट हो रही है। फिर चाहे वह दूध, घी हो या रंगीन पापड़। दाल, सरसों का तेल, रिफाइंड और मिठाई भी अछूती नहीं है। मिठाई में खोआ (मावा) की जगह सूजी, मैदा मिलाना आम बात है, लेकिन सिथेटिक रंग और केमिकल लोगों की सेहत बिगाड़ रहे हैं। खाद्य विभाग के आंकड़े आपको चिंता में डाल सकते हैं। करीब डेढ़ दर्जन खाद्य पदार्थ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हुए। इनमें बेसन में मटर का आटा और सिथेटिक रंग मिला पाया गया। खाद्य पदार्थो में मिलावट का सबसे बुरा असर लीवर पर पड़ता है। केमिकल युक्त खाद्य पदार्थो से सबसे पहले पाचन क्रिया खराब होती है। पेट में दर्द, उल्टी, दस्त होना आम बात है। यदि मिलावटी पदार्थ लंबे समय तक खाए जाएं, तो उसमें मिले रसायनों के हिसाब से कैंसर जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं। ज्ञात हो कि खाद्य विभाग के अधिकारी जेब गरम कर मिलावटी खाद्य पदार्थो की बिक्री को बढ़ावा दे रहे है। जहां से भी शिकायत मिलती है वहां जांच के नाम पर मोटी रकम की वसूली जा रही है। बताते हैं कि विभाग फर्जी शिकायती पत्र तैयार कर जांच के लिए अनेक स्थानों पर पहुंचकर रकम एकत्रित करती है। कोटा पूरा करने के लिए नमूना लिया जाता है।