स्कूली वाहनों से नौनिहालों पर मड़राता खतरा

 जौनपुर। शहर से लेकर देहात तक कई स्कूली बसे हैं, जिनमें बस के अंदर फर्श की चादर गल रही है या टूट रही है। सालों पुरानी बसों में इसे वेल्डिंग कर बसों का संचालन किया जा रहा है। ऐसे में बड़ा हादसा हो सकता है। स्कूली वाहनों पर कई बार चले अभियानों का भी असर नहीं दिख रहा है। कहने को पिछले महीनों में रविवार की छुट्टियों में सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी द्वारो विशेष कैंप लगा कर फिटनेस की जांच की गई, लेकिन इसके बाद भी स्कूली वाहनों का हाल नहीं बदला है। शहर से लेकर देहात तक दौड़ती स्कूली बसें बता रही हैं कि फिटनेस जांच के नाम पर भी खेल हुआ। सही वाहनों की आड़ में स्कूल संचालक कुछ ऐसे वाहनों की फिटनेस जांच कराने में भी सफल हो गए, जो स्कूली बच्चों को ले जाने के लिए पूरी तरह से सुरक्षित नहीं कही जा सकती हैं।  कई स्कूली बस   के फर्श की चादर काफी टूटी हुई है। जर्जर हालत में चल रही बस को कई जगह से रिपेयर कर दिया गया है तो एक पब्लिक स्कूल की बस में भी फर्श पर वेल्डिंग हो रही थी। वहीं   इन बसों में बच्चों के बैठने के दौरान अगर कहीं पर फर्श टूटती है तो हादसे की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता। देहात के कई स्कूलों में जर्जर टैंपो एवं ऑटो से बच्चे लाए जा रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी इनका संचालन बंद नहीं हुआ है। वहीं स्कूली वैन में पीछे डिग्गी में बच्चे बैठाए जाते हैं। इसके बाद दरवाजा भी खुला रहता है। ऐसे में कहीं पर झटका लगने पर बच्चों के गिरने का भी डर बना रहता है। स्कूल खुले चार दिन हो गए हैं, लेकिन अभी तक स्कूली वाहनों की जांच के लिए कोई अभियान नहीं चला है। हर बार हादसा होने के बाद अधिकारी जांच के लिए दौड़ते हैं तथा कार्रवाई की जाती है। नए-नए नियम बनाए जाते हैं जो कुछ ही दिनों में टूट जाते हैं। स्कूली बसों से लेकर टैंपो में जाने वाले बच्चों की संख्या निर्धारित होनी चाहिए लेकिन इस नियम का भी कहीं पालन नहीं हो पा रहा है।

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