सैकड़ों किसानों का परिवार भुखमरी के कगार पर
https://www.shirazehind.com/2018/07/blog-post_523.html
जौनपुर। शारदा सहायक खंड की बड़ी नहर में किसानों की गई जमीन
का मुआवजा 50 वर्ष बीत जाने के बाद भी आज तक नहीं मिला। इससे सैकड़ों
किसानों का परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गया हैं। जमीन देने वाले दर्जन
भर किसानों की मुआवजे की आस में मौत भी हो चुकी है।
मड़ियाहूं क्षेत्र के जोगापुर, जगन्नाथपुर, गदइया, गोपालपुर, सरायकालिदास, सुदनीपुर, मईडीह सहित दर्जनों गांव की जमीन शारदा सहायक खंड नहर की खुदाई के समय से ही नहर में चली गई। जिसका मुआवजा आज तक नहीं मिल सका। तब से आज तक प्रदेश में कितनी सरकारें आई और चली गई, फिर भी मुआवजा देने की कवायद किसी ने नहीं किया। वर्तमान सरकार किसान हित की बात तो करती है परंतु कार्य नहीं कर पा रही है। इनमें से रंजन पटेल, राम शिरोमणि मिश्रा, हिंगु गुप्ता, लालता पटेल, राम बली यादव समेत अन्य किसानों की मुआवजे की बांट जोहते मौत भी हो चुकी है। उनकी दूसरी पीढ़ी अभी भी इस मुआवजे की आस लगाए बैठा है। जिन किसानों के पास और जमीनें नही थी वे भुखमरी के कगार पर पहुंच गए है, परंतु सरकार हाथ पर हाथ रखकर बैठी हुई है।
मड़ियाहूं क्षेत्र के जोगापुर, जगन्नाथपुर, गदइया, गोपालपुर, सरायकालिदास, सुदनीपुर, मईडीह सहित दर्जनों गांव की जमीन शारदा सहायक खंड नहर की खुदाई के समय से ही नहर में चली गई। जिसका मुआवजा आज तक नहीं मिल सका। तब से आज तक प्रदेश में कितनी सरकारें आई और चली गई, फिर भी मुआवजा देने की कवायद किसी ने नहीं किया। वर्तमान सरकार किसान हित की बात तो करती है परंतु कार्य नहीं कर पा रही है। इनमें से रंजन पटेल, राम शिरोमणि मिश्रा, हिंगु गुप्ता, लालता पटेल, राम बली यादव समेत अन्य किसानों की मुआवजे की बांट जोहते मौत भी हो चुकी है। उनकी दूसरी पीढ़ी अभी भी इस मुआवजे की आस लगाए बैठा है। जिन किसानों के पास और जमीनें नही थी वे भुखमरी के कगार पर पहुंच गए है, परंतु सरकार हाथ पर हाथ रखकर बैठी हुई है।

