भ्रम के भवसागर का पतवार होता है सद्गुरूः जगदीश उपाध्याय

जौनपुर। भ्रम के भवसागर का पतवार होता है सद्गुरू, क्योंकि संसार में भ्रम का मायाजाल है। इससे निकलने का मार्ग गुरू ही प्रशस्त करता है। मन के बुरे विकारों को नष्ट करके जो ब्रह्म में स्थिर कर दे, वही सद्गुरू होता है। उक्त विचार गुरू पूर्णिमा के बाबत रविवार को आयोजित एक सत्संग समारोह में पं. जगदीश उपाध्याय ने व्यक्त किया। जनपद के महराजगंज क्षेत्र के उमरी खुर्द गांव में उपस्थित जनसमूह के बीच उन्होंने कहा कि जहां पर विकार है, वहां गुरू नहीं है। विकारों का नष्ट होने के बाद ही सद्गुरू की प्राप्ति होती है। संसार तो भ्रम का मायाजाल है जिससे निकलने का मार्गदर्शन केवल गुरू ही देता है। इस दौरान उपस्थित शिष्यों ने जहां गुरू श्री उपाध्याय का पूजन-अर्चन किया, वहीं गुरू जी ने सभी की कलाई में रक्षा कवच बांधकर आशीर्वाद दिया। इस अवसर पर राजेश यादव, अरविन्द सिंह, पूजा सिंह, महेश जायसवाल, भोला पाण्डेय, रमेश मिश्र, राकेश यादव, पुष्पकर उपाध्याय, अश्वनी श्रीवास्तव, गुंजा, अनीता सहित सैकड़ों भक्त उपस्थित रहे। अन्त में गुरू जी ने स्वयं अपने हाथों से सभी को प्रसाद दिया।

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