सदी के महानायक थे अटल: अनीता सिद्धार्थ
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जौनपुर। बीते 16 अगस्त को राजनीति के क्षितिज से सूर्य हमेशा के लिए अस्त हो गया।
श्रद्धेय अटल जी ने इस मातृभूमि के लिए जो किया है, उसके लिए भारतवर्ष और यहां के नागरिक सदैव ऋणी रहेंगे ।
धन्यवाद कीजिये श्रद्धेय अटल जी को अगर गांवों में पक्की सड़क मिलती है, आभार व्यक्त कीजिये उनका देश मे नए एम्स की श्रृंखला खोल दी, अमन की सांस लीजिये क्योंकि इस अमन का कारण भारत का परमाणु सम्पन्न राष्ट्र होना है।
श्रद्धेय अटल जी एक ओजस्वी वक्ता, सादगी और विनम्रता की प्रतिमूर्ति होने के साथ ही साथ एक विलक्षण कवि भी थे।
उनमे अगर बच्चों जैसी निश्छलता थी तो सागर जैसी गंभीरता भी।
उनमे हिमालय जैसी दृढ़ता थी तो तिनके जैसी नश्वरता।
संसद में अटल जी का सिर्फ़ उपस्थित रहना ही अहसास दिला जाता था कि देश के लिए मर मिटने वाले सीमाओं के साथ साथ संसद में भी हैं,
तत्कालीन समय मे विकट परिस्थितियों को झेलकर हंसते हंसते सारा विरोध सहा,
और देश मे पहली बार किसी गैर कांग्रेसी की लहर चली तो वो अटल लहर थी,
राजनीतिक शुचिता के पर्याय थे अटल जी।
एक वोट से सरकार जाने के बाद
सरकार से त्यागपत्र देते समय आपके जो शब्द थे,
वही सार्वजनिक जीवन का सार हैं,
"सत्ता का खेल तो चलता रहेगा
पार्टियां आएंगी जाएंगी
सरकारे बनेंगी बिगड़ेंगी
मगर ये देश रहना चाहिए"
अटल जी राजनीति नही राष्ट्रनीति के पुरोधा थे!
अटल जी द्वारा बनाई योजनाओं ने करोड़ो भारतीयों को लाभ पहुँचाया, उन्होंने भारत को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाया,
एक नए शक्तिशाली समृद्ध भारत की नींव रखी थी अटल जी ने।
उनके द्वारा कहे एक एक शब्द अनमोल हैं, और जीवन की राहो में सदैव मार्ग दिखाते रहेंगे,
उनकी शख्सियत को बयां कर पाना किसी के बस की बात नही!!
श्रद्धेय अटल जी द्वारा कहा गया गए एक एक वाक्य, उनके द्वारा लिखी गयी एक एक पंक्तियां उन्हें अमरत्व प्रदान कर गयी और और उनके विचार और उनका सम्पूर्ण जीवन देशवासियों का सदियों तक मार्गदर्शन करते रहेंगे।
मैं एक कृतज्ञ राष्ट्रवासी आपके चरणों मे शीश नवाकर आपको कोटि कोटि प्रणाम करती हूँ,
हे राष्ट्रनायक हो सके तो फिर इसी भारत भूमि पे लौट के आना।