बढ़ते जा रहे कनेक्शन, लचर होती जा रही आपूर्ति
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जौनपुर । जिले में लगातार बिजली कनेक्शनों की संख्या बढ़ रही है, कितु आपूर्ति में कोई सुधार नहीं हो पा रहा है। इसकी मूल वजह है जर्जर संसाधन। नगर में एक सप्ताह के औसतन आंकड़े के अनुसार प्रतिदिन 18 घंटे बिजली दिन और रात मिलाकर मिल रही है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में दिन और रात मिलाकर औसतन कुल 14 घंटे बिजली की आपूर्ति हो पा रही है। खास यह कि कहीं भी बिजली लगातार नहीं मिल रही है। हर दो घंटे या डेढ़ घंटे पर आपूर्ति ब्रेक की जा रही है। यह ब्रेक अवधि भी 20 मिनट से 45 मिनट की है। इस बीच यदि लाइन फाल्ट में आती है तो आपूर्ति ब्रेक तीन से पांच घंटे तक भी हो जाती है। बरसात के इस मौसम में जब भी आंधी-पानी का दौर शुरू होता है तो नगर से गांव तक बिजली में जगह-जगह फाल्ट आ जाती है। जिसे सुधारने में ग्रामीण क्षेत्रों में दो दिन और नगर में भी सात-आठ घंटे का समय लग जाता है। ऐसा पूरे गर्मी तक चलता है। नगर या गांव देहात में सर्वत्र जिस तरह से बिजली के खंभों पर तार दौड़ाए गए हैं उनकी दशा देखकर ही कोई भी यह अंदाजा लगा सकता है कि इस विभाग की कार्यशैली कैसी है। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी एचटी तार लोहे के हैं, जो अक्सर गर्म होकर गिर जाते हैं। जिले के कुल तीन विद्युत उपकेंद्रों पर सर्वत्र लाइनमैनों की कमी की ज्यादा शिकायतें हैं। हर जगह प्राइवेट तौर पर लाइनमैन तैनात हैं। वह भी मनमाने तौर पर ही कार्य करते हैं। किसी बात की शिकायत जब आम लोग उच्च अधिकारियों से करना चाहते हैं वे न तो किसी का फोन उठाते हैं और न सार्थक जवाब ही देते हैं। विभागीय लापरवाही से ही लाइन लास की शिकायतें आती हैं। गांवों में पेड़ों के बीच से गुजरते तार, अवैध आटा चक्की, वेल्डिग मशीन से लाइन लास ज्यादा है। क्षेत्रीय विद्युत अभियंताओं की देखरेख में यह सब होता है। अवैध आटा चक्की संचालकों से जेई के आदमी ही वसूली करते हैं। यहां तक कि आटा चक्की चलाने वालों के लिए अकेला ट्रांसफार्मंर भी रुपये लेकर अवैध रूप से विभाग के जेई दे देते हैं। कई गांवों में ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं।