सोशल मीडिया के प्रति लोगों को भ्रमित किया जाता है | एस एम मासूम
https://www.shirazehind.com/2018/08/social.html
सोशल मीडिया की जब चर्चा कहीं भी होती है तो उसे पत्रकारिता से जोड़ दिया जाता है जबकि यह दोनों एक दुसरे से इतने अलग है की यह चर्चा करना ही मूर्खता है की सोशल मीडिया और पत्रकारिता का कोई टकराव है या नहीं है | सत्य ये ही की सोशल मीडिया की लोकप्रियता बढ़ने से पत्रकारिता से जुड़े लोगों के बीच कुछ लोग अज्ञानता वश यह भ्रम पाल लेते हैं की सोशल मीडिया की लोकप्रियता से पत्रकारिता को कोई बड़ा नुकसान होने वाला है जबकि सत्यता स बहुत अलग है | अब जब लोग चर्चा करने ही लगे हैं तो हम जैसे जिनसे समाज सोशल मीडिया जैसे विषयों पे बोलने की आशा लिए रहता है बोलना ही पड़ता है |
पत्रकारिता की कमान इस विषय के जानकार लोगों के हाथों में हुआ करती है और समय के साथ साथ इसने भी विकास किया है |कभी प्रिंट मीडिया का ज़माना था तो आज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का युग है और वेब - पत्रकारिता ने प्रिंट मीडिया को हाशिये पे ला के खड़ा कर दिया है | आज वेब पत्रकारिता पूरी तरह से लेखनी फोटो और वीडियो का एक साथ एक ही स्थान पे एक ही खबर को तक पहुंचाने की ताक़त रखती है और सोशल मीडिया इस वेब पत्रकारिता के सहयोगी की तरफ से काम कर रही है |
इस तरह आप कह सकते हैं की पत्रकारिता को सोशल मीडिया के सहयोग से अधिक शक्ति प्राप्त हुयी है ना की कोई टकराव पैदा हुआ है |
लेखक
एस एम मासूम