सीता स्वयंवर से वनगमन तक मंचन

जौनपुर। आदर्श रामलीला समिति कुरनी के मंचन के चैथेे दिन भब्य प्रदर्शन देखने को मिला, जिसमे सीता स्वयंवर से वनगमन तक के मार्मिक दृश्यों का सभी ने अवलोकन किया । मंचन में दो चक्रवर्ती राजाओं की संधि वार्ता की गई ,जिसमें मिथिला नरेश राजा जनक ने राम के साथ साथ  लक्ष्मण भरत व शत्रुघ्न के विवाह करने की सहमति जताई , इसपर राजा दसरथ ने कहा हे मिथलेश आज से जो कुछ भी हमारा है , उसपर आपका भी उतना अधिकार है , यह सुनकर जनक के आखों में खुशी के आंसू आ गए । तत्पश्चात राजा दशरथ के चारो पुत्रांे का विवाह मंगलमय ढग से सम्पन्न हुआ । सब अयोध्या वापस आते हैं । तब दसरथ जी अपनी अवस्था को देखते हुए कुल गुरु बशिष्ठ से राम को राज तिलक कएने अनुमति लेते हैं , सब अयोध्या वासी खुशियां मानते हैं तभी कुसंगति की मूर्ति मंथरा   रानी कैकयी से अपने बेटे भरत को राजा बनाने की बात को कहती है, कुसंगति में पड़ कर रानी ने यह फैसला किया और दशरथ कैकयी संवाद को देख कर सभी भाव विभोर हो उठे ।  दशरथ राजेंद्र सिंह , राम राहुल अग्रहरि लछमण ,शिवम पाण्डेय जनक , आवनेन्द सिंह वशिष्ठ , छेदी अग्रहरि कैकेयी , गोविन्दा अग्रहरि डायरेक्ट,  महा नन्द सिंह संचालक राकेश मिश्रा (मंगला) व आभार ज्ञापन प्रबन्ध राजन सिंह भाजपा नेता सेक्टर अध्यक्ष मछली शहर मंडलयुवक ने किया।

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