नमामि गंगे की तर्ज पर बहुरेंगे गोमती मैया के दिन
https://www.shirazehind.com/2018/11/blog-post_125.html
गौरव उपाध्याय
जौनपुर। नमामि गंगे की तर्ज पर अब गोमती मैया के दिन भी
बहुरेंगे महत्वाकांक्षी परियोजना एसटीपी के तहत गोमती नदी में निर्मलता
आएगी। प्रशासन की ओर से हरी झंडी दिखाने के बाद अब बस शासन के बजट का
इंतजार है। एसटीपी परियोजना के तहत शहर के अधिकांश मोहल्ले इसकी जद में
रहेंगे। सड़कों पर कभी कभार नाक भौं सिकोड़ कर बहते अपव्यय पानी के पास से
गुजरने वाले नगर वासियों को निजात मिलेगी। जलनिगम, नगरपालिका और जिला
प्रशासन की ओर से भेजी गई रिपोर्ट पर जल्द ही अमलीजामा पहनाया जाएगा।
दरअसल केंद्र व राज्य सरकार इन दिनों नदियों की निर्मलता पर विशेष ध्यान दे रही है। प्राचीन सभ्यता की धरोहर जनपद जौनपुर की संस्कृति के उद्गम का ध्यान रखा गया है। जनपद की संस्कृति का उद्गम यानि आदि गंगा गोमती नदी। हाल ही के दिनों में राज्य सरकार ने गोमती नदी की निर्मलता का ख्याल रखा। इसका प्रभाव जौनपुर तक भी पहुंचा। स्पेशल टीम ने बकायदा गोमती नदी में सीधे पहुंचने वाले सीवरों का मुआयना किया। नगर पालिका, जल निगम और जिला प्रशासन को स्थिति से अवगत कराते हुए प्लान बताए।
गली-कूचों तक सीवर लाइन बिछाने की बात पटल पर है। शासन से इस व्यवस्था की मंजूरी लगभग तय है। अनुमान है जल्दी शहर में सीवरों का मकडज़ाल फैलेगा। नतीजतन नलियों का पानी अब अण्डर ग्राउण्ड ड्रेनेज सिस्टम के तहत बहेगा। गली-कंूचों से निकला अपव्य पानी मुख्य सड़कों पर बिछे सीवर लाइन से जुड़ेगा।
जिससे नालियों के चोक होने पर सड़कों पर बहने वाले अपव्यय पानी से निजात मिलना संभव है। इसके अलावा एसटीपी प्लान को भी मंजूरी मिल चुकी है। एसटीपी प्लान से आदि गंगा गोमती नदी में निर्मलता आएगी। नदी में सीधे गिरने वाला पानी अब पीएच लेवल तक तकरीबन शुद्ध होगा। नतीजा होगा कि नदी का पानी स्वास्थ्य के लिए बेहतर हो जाएगा। इसके पहले गोमती नदी का पानी को पीने की बात तो दूर छोड़े नहाने योग्य भी नहीं था।
दरअसल केंद्र व राज्य सरकार इन दिनों नदियों की निर्मलता पर विशेष ध्यान दे रही है। प्राचीन सभ्यता की धरोहर जनपद जौनपुर की संस्कृति के उद्गम का ध्यान रखा गया है। जनपद की संस्कृति का उद्गम यानि आदि गंगा गोमती नदी। हाल ही के दिनों में राज्य सरकार ने गोमती नदी की निर्मलता का ख्याल रखा। इसका प्रभाव जौनपुर तक भी पहुंचा। स्पेशल टीम ने बकायदा गोमती नदी में सीधे पहुंचने वाले सीवरों का मुआयना किया। नगर पालिका, जल निगम और जिला प्रशासन को स्थिति से अवगत कराते हुए प्लान बताए।
गली-कूचों तक सीवर लाइन बिछाने की बात पटल पर है। शासन से इस व्यवस्था की मंजूरी लगभग तय है। अनुमान है जल्दी शहर में सीवरों का मकडज़ाल फैलेगा। नतीजतन नलियों का पानी अब अण्डर ग्राउण्ड ड्रेनेज सिस्टम के तहत बहेगा। गली-कंूचों से निकला अपव्य पानी मुख्य सड़कों पर बिछे सीवर लाइन से जुड़ेगा।
जिससे नालियों के चोक होने पर सड़कों पर बहने वाले अपव्यय पानी से निजात मिलना संभव है। इसके अलावा एसटीपी प्लान को भी मंजूरी मिल चुकी है। एसटीपी प्लान से आदि गंगा गोमती नदी में निर्मलता आएगी। नदी में सीधे गिरने वाला पानी अब पीएच लेवल तक तकरीबन शुद्ध होगा। नतीजा होगा कि नदी का पानी स्वास्थ्य के लिए बेहतर हो जाएगा। इसके पहले गोमती नदी का पानी को पीने की बात तो दूर छोड़े नहाने योग्य भी नहीं था।
क्या है एसटीपी प्लान
एसटीपी यानि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट योजना। इसके
कवायद नमामि गंगे की तर्ज पर की गई है। शहरों से निकलने वाला गंदा अपव्यय
पानी को इस प्लांट के जरिए गुजारा जाएगा। प्लांट में पानी का शुद्धिकरण
किया जाएगा। बेहतर पानी को जलनिगम दोबारा इस्तमाल कर सकता है। जबकि शेष बचे
पानी को नदी में छोड़ दिया जाएगा। यह पानी भी उत्तम रहेगा। इस बाबत पूछे
जाने पर अधिशासी अधिकारी कृष्ण कुमार ने को बताया कि शासन की ओर से आई टीम
एसटीपी टीम को लगभग मंजूरी दे चुकी है। बजट और गली-कूंचों में सीवेज की
लंबाई प्रस्तावित है। जल्द ही कार्य शुरू होने की संभावना है।