पत्रकारिता के पितामह विनय कुमार गुप्त अब हमारे बीच नहीं रहे
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मुंगराबादशाहपुर(जौनपुर)। स्थानीय कस्बे के सबरजीत मण्डी निवासी व हिन्दू इन्टर कालेज के पूर्व प्राचार्य एंव वरिष्ठ पत्रकार विनय कुमार गुप्त (95) का सोमवार की रात 9 बजे इलाहाबाद के एक प्राईवेट नर्सिंग होम मे निधन हो गया। उनके निधन से क्षेत्र को अपुरणीय क्षति हुई।
पत्रकारिता जगत से जुड़े विनय कुमार गुप्त पिछले कई महीनो से बीमार चल रहे थे ।उनका ईलाज इलाहाबाद में चल रहा था ।तीन दिन पहले उनकी तबीयत अचानक अत्यधिक खराब हो गयी उन्हे तत्काल इलाहाबाद के एक प्राईवेट हास्पिटल मे भर्ती कराया गया जहां आज रात 9 बजे उनका देहावसान हो गया। उनके निधन से की समाचार पाकर रात्रि में ही दरवाजे पर लोग जुटकर शोक संतप्त परिवार को इस दुःख की घड़ी को सहन करने की क्षमता प्रदान कर रहे थे। स्व.श्री गुप्त डेढ़ दशक से "दैनिक अमर उजाला" अखबार से जुड़कर अपनी लेखनी का क्षेत्र के लोगों में लोहा मनवा रहे थे। श्री गुप्त मुंगराबादशाहपुर के "सतहरिया" डेटलाईन से अपनी लेखनी की प्रतिभा लोगों के बीच पहुंचाते थे। करीब 80 की उम्र पार करने के कारण उन्हें पत्रकारिता के पितामह के रूप में चर्चित थे। छोटे हो अथवा बड़े लोग प्यार से उन्हें बाबुजी ही कहकर बुलाते थे। मुंगराबादशाहपुर के पत्रकार फहीम अंसारी बताते हैं कि बाबु जी कभी "अमर उजाला" के मिटिंग में भी आते थे तो बताते हैं कि अपनी शिकायत को इतनी सीधी और मीठी जुबान से करते थे कि लोग उनके कार्यों को सहज ही कर देते थे और कहते थे आप इतनी उम्र में जनपद न आया करें। उनका ज़बाब था कि घर बैठने से चलने की शक्ति खत्म हो जाती है इसलिए आप लोग हमें आने से न रोकें। आज इस पितामह के पत्रकारों के बीच न होने पर असहनीय पीड़ा पहुंची, निश्चित ही उनकी निधन से एक युग का निधन हो गया। सन्देश24न्यूज परिवार मृतक आत्मा के प्रति श्रद्धांजलि देता है और पितामह के परिवारीजन को इस दुःख की घड़ी में ईश्वर से कामना करता है कि असमय दुःख को सहन करने की क्षमता प्रदान करें।
पत्रकारिता जगत से जुड़े विनय कुमार गुप्त पिछले कई महीनो से बीमार चल रहे थे ।उनका ईलाज इलाहाबाद में चल रहा था ।तीन दिन पहले उनकी तबीयत अचानक अत्यधिक खराब हो गयी उन्हे तत्काल इलाहाबाद के एक प्राईवेट हास्पिटल मे भर्ती कराया गया जहां आज रात 9 बजे उनका देहावसान हो गया। उनके निधन से की समाचार पाकर रात्रि में ही दरवाजे पर लोग जुटकर शोक संतप्त परिवार को इस दुःख की घड़ी को सहन करने की क्षमता प्रदान कर रहे थे। स्व.श्री गुप्त डेढ़ दशक से "दैनिक अमर उजाला" अखबार से जुड़कर अपनी लेखनी का क्षेत्र के लोगों में लोहा मनवा रहे थे। श्री गुप्त मुंगराबादशाहपुर के "सतहरिया" डेटलाईन से अपनी लेखनी की प्रतिभा लोगों के बीच पहुंचाते थे। करीब 80 की उम्र पार करने के कारण उन्हें पत्रकारिता के पितामह के रूप में चर्चित थे। छोटे हो अथवा बड़े लोग प्यार से उन्हें बाबुजी ही कहकर बुलाते थे। मुंगराबादशाहपुर के पत्रकार फहीम अंसारी बताते हैं कि बाबु जी कभी "अमर उजाला" के मिटिंग में भी आते थे तो बताते हैं कि अपनी शिकायत को इतनी सीधी और मीठी जुबान से करते थे कि लोग उनके कार्यों को सहज ही कर देते थे और कहते थे आप इतनी उम्र में जनपद न आया करें। उनका ज़बाब था कि घर बैठने से चलने की शक्ति खत्म हो जाती है इसलिए आप लोग हमें आने से न रोकें। आज इस पितामह के पत्रकारों के बीच न होने पर असहनीय पीड़ा पहुंची, निश्चित ही उनकी निधन से एक युग का निधन हो गया। सन्देश24न्यूज परिवार मृतक आत्मा के प्रति श्रद्धांजलि देता है और पितामह के परिवारीजन को इस दुःख की घड़ी में ईश्वर से कामना करता है कि असमय दुःख को सहन करने की क्षमता प्रदान करें।