औषधि गुणों का भण्डार है महुआ

जौनपुर। इस समय ग्रामीण क्षेत्रों में महुआ के फूल गिर रहे है जिसे लोग एकत्रित कर विभिन्न प्रकार के उपयोग में लाते है और औषधि के रूप में प्रयोग करते है। महुआ एक उष्ण कटिबंधीय वृक्ष है। इसके के पेड़ों में लगे पत्ते, छाल, फूल, फल, सभी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। मार्च, अप्रैल में इसके पेड़ो में फूल तो मई, जून में फल आते हैं। इस समय अमृतफल के रूप में इसके वृक्षों से फूल टपक रहा है। सुबह उसको चुनकर घर ले जाकर धूप में सुखाकर औषधि बनाने सहित तमाम व्यंजन के रूप में इसका प्रयोग किया जा रहा है। लंबी अवधि में तैयार होने वाले इसके वृक्ष की लकड़ी वजनदार, और मजबूत होने से इसकी मांग अधिक होती है। अवैध कटाई से महुआ पेड़ों की संख्या दिन-ब-दिन घटती जा रही है। अब कम ही पेड़ लगाए जा रहे हैं। इस संबंध में वृद्ध बताते हैं हम लोगों के घर जहां फूल से रस निकालकर बरिया, ठोकवा, लपसी सहित अनेक स्वादिष्ट व्यंजन बनाते थे। साल भर तक इसे साफ करके रख कर इसको कूट कर लाटा बनाकर उपयोग करते थे। वहीं इसके फल जिसे कोइया कहते हैं, उसको सुखा कर तेल निकाल कर अनेक व्यंजन बनाने में इसका उपयोग करते थे। इसको खाने से सभी निरोगी रहा करते थे। इसकी मजबूत लकड़ी का खिड़की दरवाजा सहित अन्य कार्यों में उपयोग होता है। वहीं इसका फल और फूल दोनों ही खाने के कार्य में आता है। आयुर्वेद के चिकित्सक बताते है कि इसका फूल एक कारगर औषधि है। इसका सेवन करने से साइटिका दूर हो जाता है। यह पौष्टिक तत्व वाला भी होता है। जोड़ों पर इसके लेपन से सूजन कम हो जाती है। दर्द खत्म होता है। पेट की बीमारियों से मुक्ति के लिए भी यह औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।

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