डिजिटल हस्ताक्षर न बनने से करोड़ों फंसा

जौनपुर। ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों का पैसा पब्लिक फाइनेंसियल मैनेजमेंट सिस्टम (पीएफएमएस) के माध्यम से योजना लागू होने के बाद 14वें वित्त के तहत करोड़ों रुपये फंस गये हैं। बदली गयी व्यवस्था के आधार पर सभी प्रधानों व सचिवों को अपना डिजिटल हस्ताक्षर हरहाल में बनवाये जाने का निर्देश दिया है, जिसमें अभी तक कई प्रधान व सचिवों का डिजिटल हस्ताक्षर नहीं बन सका है। इसे लेकर की जाने वाली समीक्षा बैठकों का भी कोई खास असर नहीं हुआ। योजना पूर्ण रूप से लागू न हो पाने की वजह से गांवों में विकास कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं।
पारदर्शिता के लिहाज से ग्राम प्रधान अब गांवों में कराये जा रहे निर्माण का भुगतान चेक या अन्य किसी माध्यम से नहीं कर सकेंगे। इसे देखते हुए 14 वित्त के तहत पैसा निकालने में पूर्ण रूप से पाबंदी लगा दी गई है, जिसका असर गांवों के विकास कार्यों पर भी पड़ा। भुगतान के तरीके में आये बदलाव की वजह से काफी समय तक गांवों में विकास की रफ्तार भी थमी रही। प्रधानों पर शुरू हुई कार्रवाई के बाद डिजिटल हस्ताक्षर बनवाने का सिलसिला शुरू हुआ, लेकिन अभी भी कुछ गांवों में यह पूर्ण नहीं हो सका है। सूत्रों का कहना है कि निचली पंचायतों में भ्रष्टाचार की गहरी होती जड़ों को देखते हुए सिस्टम में बदलाव किया गया है। नई व्यवस्था के तहत ग्राम पंचायतों में होने वाले निर्माण में खर्च होने वाला पैसा सीधे संबंधित के खाते में जायेगा। मसलन, यदि कोई प्रधान विकास कार्य के लिहाज से सोलिग का निर्माण करा रहा है तो ईंट का पैसा सीधे भट्ठा मालिक के खाते में जायेगा। अन्य सामानों की खरीदारी में भी यही फार्मूला काम आयेगा। इतना ही नहीं मनरेगा के अलावा जो मजदूर निर्माण कार्य में लगे होंगे, पैसा कैश देने की बजाय सीधे उनके खाते में डाला जायेगा। इससे पूर्व मस्टर रोल पर हस्ताक्षर कराकर प्रधान उन्हें नकद देते थे, जो अधिकार अब छिन गया है।

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