पूर्व सांसद पर दर्ज एफ आई आर निरस्त करने की 12 मई को ही एसपी व डीजीपी से वादी ने किया था मांग



जौनपुर : लाइन बाजार थाने में नमामि गंगे प्रोजेक्ट के मैनेजर अभिनव सिंहल द्वारा 10 मई को पूर्व सांसद धनंजय सिंह व विक्रम के खिलाफ हत्या के लिए अपहरण, रंगदारी व अन्य धाराओं में एफ आई आर दर्ज कराई गई थी।वादी ने 12 मई को ही एफ आई आर निरस्त करने की मांग करते हुए पुलिस अधीक्षक,डीजीपी एडीजी,आईजी,मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव को जरिए रजिस्टर्ड व फैक्स के माध्यम से दरखास्त दिया जिसमें वादी ने यह हवाला लिया कि  उसने मानसिक तनाव व दबाव के कारण धनंजय व विक्रम के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराया।वह आगे मुकदमे को जारी नहीं रखना चाहता क्योंकि धनंजय व विक्रम ने न तो उसका अपहरण कराया,न रंगदारी मांगी,न गाली और धमकी ही दिया।विक्रम सिंह केवल कंपनी से जुड़ना चाहते थे जो कि अपराध नहीं है।उसने दोनों लोगों पर कोई इल्जाम नहीं लगाया था।पुलिस ने वादी का कोई बयान भी नहीं लिया है।जब पुलिस ने उससे पूछा उस वक्त भी उसने धनंजय व विक्रम के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया था। जब उसकी दरखास्त पर कोई सुनवाई नहीं हुई तब उसने अधिवक्ता के माध्यम से घर पर ही इसी आशय की दरखास्त व हलफनामा बनवाया और 14 मई को सीजीएम कोर्ट से मांग किया कि उसके दरखास्त पर आदेश किया जाए।कोर्ट ने दरखास्त यह कह कर वापस कर दिया कि इस अदालत में यह प्रकरण लंबित नहीं है इसलिए इस दरखास्त को रिकॉर्ड पर रखा नहीं जा सकता। उसमें भी  वादी नहीं  यही हवाला दिया था कि  पूर्व सांसद व विक्रम ने न तो अपहरण किया न रंगदारी मांगी।इस संबंध में सोमवार को जब वादी के अधिवक्ता से बात की गई तो उन्होंने स्पष्ट बताया कि वादी ने उनसे कहा है कि पुलिस ने जबरन किसी बड़ी हस्ती के दबाव में प्राथमिकी दर्ज करवाया लेकिन उस व्यक्ति के नाम का अभिनव ने खुलासा नहीं किया।यहां उसके आवास पर पुलिस ने पहरा बिठा रखा था। इसी वजह से वह घर से बाहर नहीं निकल पा रहा था और घर पर ही सारी कार्यवाही की गई।जिस दिन वादी से एफ आई आर दर्ज करवाई गई उसी दिन उसने पुलिस अधीक्षक से कहा कि उसके ऊपर इस प्रकार दबाव डाला जा रहा है कि वह मजबूर होकर आत्महत्या कर लेगा।उसने यह भी बताया कि पुलिस ने उसका मोबाइल छीन लिया।केवल उसका सिम उसे दिया। वादी द्वारा की जा रही कार्यवाही की भनक लगते ही पुलिस उसे मुजफ्फरनगर उसके आवास पर ले जाकर छोड़ दी। अधिवक्ता ने यह भी बताया कि वह जनपद स्थित अभिनव के आवास पर अपने जूनियर को भेजकर दरखास्त हलफनामा बनवाए थे लेकिन कोर्ट ने उसे स्वीकार न करते हुए वापस कर दिया। जहां तक प्रक्रिया का सवाल है प्राथमिकी दर्ज होने के बाद वादी को यदि बयान देना होता है तो वह विवेचक के समक्ष और यदि विवेचक उसके मनमाफिक बयान नहीं लिखता तो पुलिस के अन्य उच्चाधिकारियों के माध्यम से दरखास्त व हलफनामा देता है।कोर्ट को विवेचना में हस्तक्षेप करने का कोई पावर नहीं है।वादी ने एसपी व अन्य पुलिस अधिकारियों को घटना को झूठी बताते हुए एफ आई आर निरस्त करने की दरखास्त दिया लेकिन उस पर पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई।हैरत की बात तो यह है कि प्रमुख सचिव और डीजीपी स्तर पर भी कोई सुनवाई नहीं हुई।इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि दबाव काफी उच्च स्तरीय था।वादी के पास पुलिस द्वारा दिए गए दबाव व अन्य रिकॉर्डिंग मौजूद है।20 मई को पूर्व सांसद की जमानत पर सुनवाई के लिए तिथि नियत है जिसमें विवेचक को केस डायरी व अपराधिक इतिहास लेकर हाजिर होना है केस डायरी में वादी का बयान व अन्य गवाहों का बयान अंकित होगा।

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