कहीं प्रबंधकों की धनउगाही तो कहीं नियुक्ति में खामी के कारण, विनियमित नहीं हो सके शिक्षक
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जौनपुर। डेढ़ दशक से नियमित होने के लिए सड़क पर उतर कर संघर्ष कर रहे थे। जब शासनादेश जारी हुआ तो विद्यालयों से पत्रावली ही नहीं आ रही है। कहीं प्रबंधकों की धनउगाही के चलते तो कहीं नियुक्ति में खामी के कारण गतिरोध आ रहा है। चार साल से अधिक समय बीत गए लेकिन 357 तदर्थ शिक्षकों में पचास प्रतिशत ही अभी तक विनियमित हो सके हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशक के आदेश को भी प्रबंधक व जिले के अधिकारियों ने दरकिनार कर दिया है।
स्ववित्त पोषित माध्यमिक विद्यालयों में छह अगस्त 1993 को शिक्षकों की नियुक्ति का अधिकार प्रबंधकों से हटाकर आयोग को दे दिया। उसके बाद 24 जनवरी 1999 तक चयन समिति के माध्यम से धारा 18 के तहत और कठिनाई निवारण अध्यादेश के तहत प्रबंध समितियों द्वारा तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति की गई। जनपद में लगभग 357 ऐसे शिक्षक हैं जिनका उच्च न्यायालय के आदेश या धारा 18 के तहत भुगतान किया जा रहा है। सूबे में ऐसे शिक्षकों को विनियमित करने के लिए माध्यमिक शिक्षक संघ के बैनर तले शिक्षक 15 साल से अनवरत संघर्ष करते आ रहे थे लेकिन उनकी आवाज को दबा दिया जाता था। लंबे समय तक चले आंदोलन के बाद समाजवादी पार्टी की सरकार ने 22 मार्च 2016 को शासनादेश जारी कर तदर्थ शिक्षकों को विनियमित करने का शासनादेश जारी कर दिया। आदेश जारी हुए चार साल से अधिक समय बीत गए लेकिन अभी प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो पाई है।