शहीद ने रात दस बजे की थी पत्नी से बात, चार दिन बाद छुट्टी लेकर घर आने का किया था वादा


  

जौनपुर।  जम्मू-कश्मीर के पुलावामा में हुए आतंकी हमले में शहीद जवान जिलाजीत यादव ने मंगलवार की रात 10 बजे पत्नी पूनम से वीडियो कॉल पर बात की थी। वादा किया था कि चार दिनों बाद वह छुट्टी लेकर घर आएंगे। बेटे के लिए काजू-मेवा और खिलौने लाएंगे। पत्नी को तीज की साड़ी, सुहाग के अन्य सामान दिलाएंगे। मन में सुनहरे ख्वाब लेकर पूनम ने नींद की चादर ओढ़ी, लेकिन सुबह की पहली किरण के साथ आई मनहूस खबर ने सारे सपने बिखेर दिए। मासूम बेटे को गोद में लेकर बिलख रही पत्नी को जैसे सुध-बुध नहीं थी। वह बार-बार भगवान से पूछ रही थी कि आखिर किस किए की यह सजा मिली है। जिलाजीत का विवाह वर्ष 2016 में वाराणसी के बड़ागांव क्षेत्र के इंदलपुर रसूलपुर गांव निवासी पूनम यादव से हुआ था। इसी वर्ष फरवरी में उनके घर में किलकारी गूंजी। खुशी से लबरेज जिलाजीत महज छह दिन मासूम बेटे के साथ बिताने के बाद अपना फर्ज निभाने रवाना हो गए थे। इसके बाद वह बेटे की झलक देखने के लिए अक्सर वीडियो कॉल पर ही पत्नी से बात करते थे। मंगलवार की रात भी 10 बजे उन्होंने पत्नी को कॉल किया था। बेटे को दुलारते हुए कहा था कि इस बार छुट्टी पर आएंगे तो उसके लिए काजू, मेवा और बाजार से खिलौने भी लाएंगे। पत्नी से वादा किया था कि घर आने के बाद वह बाजार ले जाकर तीज की खरीदारी कराएंगे। पूनम बेटे के जन्म के लिए जनवरी में ही मायके चली गई थी। पति के छुट्टी पर आने के बाद विदाई होनी थी। रात को सोते वक्त उसके चेहरे पर अथाह खुशियां थी, लेकिन नींद खुली तो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। अखंड सुहाग की कामना के साथ जिस पति के लिए वह तीज व्रत करने की तैयारी में थी, वह मां भारती की सेवा में शहीद हो गया था। शहादत की खबर पाकर वह अपने भाई के साथ ससुराल पहुंची। रोते-बिलखते पत्नी का बुरा हाल था। उसकी हालत देख लोग ढांढ़स बंधाने का साहस भी नहीं जुटा पा रहे थे। पूनम के भाई विशाल ने बताया कि जीजा ने उसे अपनी बाइक बनवाने को कहा था, जिससे छुट्टी पर आने के बाद वह स्थानीय काम निपटा सके। घर की मरम्मत का काम पूरा कराना था। इसके अलावा एक वर्ष पूर्व गांव के बाहर ली गई जमीन पर नया मकान निर्माण शुरू कराने की भी योजना थी। इजरी गांव निवासी स्व. कांता यादव की तीन संतानों में जिलाजीत एकलौते पुत्र थे। डेढ़ वर्ष पूर्व पिता के निधन के बाद परिवार की पूरी जिम्मेदारी जिलाजीत के ही कंधों पर थी। उनकी मौत से पूरा परिवार बिखर गया है। मां उर्मिला देवी और बहन रेनू व संजू की आंखों के आंसू नहीं थम रहे। अभी हाल ही में रक्षाबंधन पर दोनों बहनों ने भाई की कलाई के लिए सीमा पर राखियां भेजी थीं। भाई ने वादा किया था कि घर लौटने के बाद बहनों को रक्षाबंधन का तोहफा देंगे। बहनों को भी बेसब्री से भाई से मिलने वाले तोहफे का इंतजार था। मां उर्मिला देवी ने कहा कि बेटे की शहादत पर फख्र है।  

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