एमवाई' से टूटी आस.. 'पीडीए' से जुड़ रहा विश्वास

 

'लोकसभा चुनाव-2024 को लेकर सपा सुप्रीमो ने छोड़ा नया शिगूफा

प्रमोद जायसवाल 

जौनपुर। अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने तैयारी शुरू कर दी है। भाजपा फिर सत्ता पर काबिज होने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है वहीं विपक्षी दल भी भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए तमाम रणनीति तैयार कर रहे हैं। इस बीच सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने '80 हराओ, बीजेपी हटाओ' के नारे के साथ नया शिगूफा छोड़ दिया है। कहा कि 2024 के चुनाव में 'एनडीए' को 'पीडीए' हरायेगा। 'पीडीए' से उनका मतलब पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वोट है। उनके हिसाब से सिर्फ यादव व मुस्लिम वोट बैंक के सहारे बीजेपी से पार नहीं पाया जा सकता है।


शिगूफे के निकाले जा रहे निहितार्थ


सपा सुप्रीमो के नये शिगूफे के राजनीतिक गलियारे में निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। यह शिगूफा एक नये गठबंधन और समीकरण का संदेश दे रहा है। दरअसल प्रदेश में पिछड़ा वर्ग वोटर की बड़ी तादात है। इसमें यादव ही सपा का प्रमुख वोट बैंक है। बाकी वोटर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा से जुड़़े हैं। दलित वोटर बहुत समाज पार्टी के साथ हैं। अल्पसंख्यकों को सपा भले ही अपना वोट बैंक मानती है मगर उसमें कांग्रेस व अन्य दल सेंधमारी कर लेते हैं।


नये समीकरण व गठबंधन के संकेत


23 जून को पटना में प्रमुख विपक्षी दलों की बैठक के पहले अखिलेश यादव के इस शिगूफे से यह संकेत मिल रहे हैं कि चुनाव में बीजेपी से पार पाने के लिए समाजवादी पार्टी बसपा और कांग्रेस से गठबंधन चाहती है। जानकारों का मानना है कि सपा इसके लिए खुद पहल नहीं करना चाहती। 'पीडीए' का शिगूफा छोड़ कर बसपा और कांग्रेस का नब्ज टटोल रही है। बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार की भी यही मंशा है कि जिन राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों की सरकार है, वहां महागठबंधन बनाकर बीजेपी के खिलाफ एक उम्मीदवार ही उतारा जाये।


पिछले चुनाव में कितना कारगर रहा गठबंधन


पिछले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी बसपा से गठबंधन कर मैदान में उतरी थी। यह गठबंधन बहुत कारगर नहीं साबित हुआ। बीएसपी को 10 और सपा को 5 सीटें मिली थी। बीजेपी को 62 तथा सहयोगी दल अपना दल को 2 सीटें प्राप्त हुई थी। चुनाव के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने खुद स्वीकार किया था कि पार्टी के पक्ष में सपा के वोट ट्रांसफर नहीं हुए।


मुस्लिम वोट को छिटकने से है बचाना


सपा सुप्रीमो का 'पीडीए' का शिगूफा मुस्लिम वोटरों को छिटकने से बचाने के सम्बन्ध में भी है। 2022 के विधानसभा चुनाव में तमाम कोशिशों के बाद भी सपा को 75 से 80 प्रतिशत ही अल्पसंख्यकों के वोट मिले थे। बाकी वोट कांग्रेस और अन्य दलों में बंट गये थे। अगर कांग्रेस भी गठबंधन में शामिल होती है तो अल्पसंख्यकों के वोटों के बिखराव को रोका जा सकता है।


बीजेपी के खिलाफ साझा उम्मीदवार से बनेगी बात


अखिलेश यादव की मंशा बीजेपी के खिलाफ सभी दलों के साझा उम्मीदवार खड़ा करने की है जिससे वोटों का बंटवारा रोका जा सके। अगर ऐसा होता है तो बीजेपी के समक्ष अवश्य मुश्किल खड़ी हो सकती है मगर इस पर सहमति पर संदेह है। बसपा सुप्रीमो मायावती इसे तुकबंदी बनाते हुए पहले ही नकार चुकी हैं। अखिलेश यादव की कोशिश कितनी कारगर होगी यह पटना में होनी वाली प्रमुख विपक्षी दलों की बैठक के बाद ही पता चल सकेगा।

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