किचन गार्डन स्वास्थ्य, पोषण एवं आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम: डा. प्रगति

जौनपुर। कृषि विज्ञान केंद्र बक्शा पर तैनात विषय वस्तु विशेषज्ञ गृह विज्ञान वैज्ञानिक डॉ. प्रगति यादव ने समूह की महिलाओं को जानकारी देते हुए कहा कि किचन गार्डन वह स्थान है जहाँ परिवार अपनी दैनिक जरूरत की सब्जियाँ स्वयं उगाते हैं। यह घर के आँगन, छत, बालकनी या खेत के एक कोने में आसानी से किया जा सकता है। इसका मुख्य उद्देश्य ताजी, सस्ती और विषरहित सब्जियाँ प्राप्त करना है। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य की दृष्टि से घर में उगाई गई जैविक सब्जियाँ रासायनिक रहित होती हैं जिससे कैंसर, हार्मोन असंतुलन जैसी बीमारियों से बचाव होता है। पालक, मेथी, धनिया जैसी हरी सब्जियाँ विटामिन ए, सी, आयरन, कैल्शियम और फाइबर का अच्छा स्रोत होती है। डॉ. प्रगति ने कहा कि बागवानी मानसिक तनाव को कम कर सकारात्मकता ऊर्जा बढ़ाती है। किचन गार्डन बनाने की विधि बताते हुए जानकारी दिया कि सबसे पहले धूप वाली जगह चुनें जहां दिन में करीब 4 से 6 घंटे धूप मिल सके। साथ ही मिट्टी में जैविक खाद से तैयार उपजाऊ मिट्टी हो। पानी की उचित प्रबन्धन निकासी और बूंद सिंचाई पद्धति अपनाएं। उन्होंने कीट नियंत्रण में नीम तेल, गोमूत्र, जैविक खादों का उपयोग करें आवश्यक बताया। साथ ही आगे कहा कि मौसम के अनुसार भिंडी, लौकी, टमाटर, पालक, मटर, गाजर, खीरा, तरबूज, परवल आदि सब्जी आसानी से तैयार की जा सकती है। छत के आँगन में किनारों पर पालक व मेथी गमलों में टमाटर मिर्च लताओं में लौकी तोरई, गाजर व मूली सीधे मिट्टी में लगाई जा सकती हैं। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. सुरेश कनौजिया ने भी अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि किचन गार्डन एक सरल, लेकिन प्रभावशाली उपाय है जो ग्रामीण भारत में पोषण, रोजगार और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देता है। प्रत्येक घर में इसकी स्थापना एक स्वस्थ और स्वच्छ भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


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