चलती बस में उठा धुएं का गुबार, मची अफरा-तफरी, बाल-बाल बचे यात्री
मुफ्तीगंज में हादसा टला, लेकिन सवाल बरकरार – कौन दे रहा जर्जर बसों को फिटनेस प्रमाणपत्र?
जौनपुर (मुफ्तीगंज)। आज शाम मुफ्तीगंज के मध्य बाजार में उस समय हड़कंप मच गया जब जौनपुर से केराकत जा रही एक निजी बस में अचानक तेज धुएं का गुबार उठने लगा। धुएं को देखते ही बस में सवार यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई और जान बचाने की कोशिश में यात्री बस से कूदकर भागने लगे।
मौके पर मौजूद लोगों के अनुसार, धुएं का गुबार इतना घना था कि कुछ देर के लिए चारों तरफ अंधेरा छा गया। बाजार क्षेत्र में भी लोग घबरा गए और सुरक्षित स्थान की ओर दौड़ पड़े। गनीमत यह रही कि कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ और समय रहते धुआं शांत हो गया।
हालांकि, इस घटना ने एक बार फिर निजी सवारी वाहनों की फिटनेस और प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस तरह की हालत में यह बस थी, उसे देखकर यह सवाल उठना लाजमी है कि ऐसे वाहनों को फिटनेस प्रमाण पत्र आखिर कैसे मिल जाता है? और किसकी अनुमति से ये जर्जर वाहन सड़कों पर दौड़ाए जा रहे हैं?
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
यह पहली बार नहीं है जब जौनपुर जिले में इस तरह की घटना हुई हो। कुछ दिन पूर्व जौनपुर-प्रयागराज मार्ग पर भी एक चलती बस में आग लग गई थी। लगातार हो रही इस तरह की घटनाओं से साफ है कि यात्रियों की जान खतरे में है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी मौन साधे बैठे हैं।
जनता में नाराज़गी
स्थानीय लोगों और यात्रियों में घटना के बाद गहरी नाराजगी देखी गई। उनका कहना है कि यदि प्रशासन समय रहते सख्ती न बरते तो कोई भी बड़ा हादसा कभी भी हो सकता है।
प्रशासन कब जागेगा?
अब सवाल उठता है कि —
- क्या परिवहन विभाग इन वाहनों की स्थिति की जांच करता है?
- निजी बस ऑपरेटरों को कौन जवाबदेह बनाएगा?
- और आखिर कब तक यात्रियों की जान ऐसे ही जोखिम में डाली जाती रहेगी?
यात्रियों और जागरूक नागरिकों की मांग है कि फिटनेस जांच प्रणाली की पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए और जर्जर वाहनों को तत्काल सड़कों से हटाया जाए।
रिपोर्ट – धीरज सोनी