"मन की बात" से मिली प्रेरणा, राष्ट्रपति भवन से आया न्योता — जौनपुर के शुभलाल सरोज बने दिव्यांगजन की सशक्त आवाज
जौनपुर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रिय रेडियो श्रृंखला "मन की बात" से प्रेरणा लेकर जौनपुर के एक साधारण मगर संकल्पित युवक ने ऐसा असाधारण कार्य कर दिखाया कि अब उन्हें स्वतंत्रता दिवस के राष्ट्रीय समारोह में शामिल होने के लिए राष्ट्रपति भवन से सीधा आमंत्रण प्राप्त हुआ है।
यह गौरवपूर्ण उपलब्धि हासिल की है जौनपुर जनपद के मुगरा बादशाहपुर थाना क्षेत्र के रामपुर गांव निवासी दिव्यांग सामाजिक कार्यकर्ता शुभलाल सरोज ने। शुभलाल सरोज स्वयं दिव्यांग हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री की 'मन की बात' सुनने के बाद ठान लिया कि वे देश के दिव्यांगजनों की समस्याओं और सुझावों को केंद्र सरकार तक पहुंचाएंगे।
बौनेपन को दिव्यांग श्रेणी में करवाया शामिल
शुभलाल सरोज ने अपने निरंतर प्रयासों और सकारात्मक संवाद के माध्यम से भारत सरकार को कई सुझाव भेजे। उन्होंने बौनेपन (ड्वार्फ़िज़्म) को भी दिव्यांगता की सूची में शामिल करवाने की दिशा में संघर्ष किया। उनके इस सुझाव को केंद्र सरकार ने संज्ञान में लिया और अब बौनेपन से पीड़ित लोग भी सरकार की कई योजनाओं और सुविधाओं के पात्र बन चुके हैं।
शुभलाल के प्रयासों ने न केवल नीति निर्माण को प्रभावित किया बल्कि देश भर के दिव्यांगों को नए अधिकार और सम्मान भी दिलाया। इन उल्लेखनीय कार्यों की राष्ट्रपति भवन से सीधे निगरानी की गई और फिर उन्हें देश के सबसे बड़े लोकतांत्रिक आयोजन — 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस समारोह — के लिए आमंत्रण भेजा गया।
परिवार और गांव में हर्ष का माहौल
राष्ट्रपति भवन से शुभलाल सरोज को जब यह आमंत्रण पत्र मिला, तो गांव रामपुर में उत्सव जैसा माहौल बन गया। शुभलाल के परिजनों और शुभचिंतकों ने इसे पूरे जिले के लिए गौरव की बात बताया। ग्रामीणों ने कहा कि एक छोटे से गांव का दिव्यांग युवक जब देश की राजधानी में राष्ट्रीय सम्मान पाए, तो यह पूरे समाज के लिए प्रेरणा है।
शुभलाल ने जताया आभार
अपने इस सम्मान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शुभलाल सरोज ने कहा,
"मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और महामहिम राष्ट्रपति को हृदय से धन्यवाद देता हूं। मैं सिर्फ अपनी नहीं, पूरे देश के दिव्यांगजनों की आवाज बनने की कोशिश कर रहा हूं। यह सम्मान मेरा नहीं, हम सबका है।"
दृढ़ संकल्प से मिली उड़ान
शुभलाल सरोज की यह कहानी इस बात की गवाही देती है कि अगर इरादे मजबूत हों और सोच समाज के हित में हो, तो सीमाएं भी रास्ता दे देती हैं। एक सामान्य पृष्ठभूमि से आने वाला यह युवक आज राष्ट्रीय मंच पर दिव्यांगजनों का प्रतिनिधित्व कर रहा है।