हाईकोर्ट से चेयरमैन के पति को मिली बड़ी राहत, आपराधिक कार्यवाही पर रोक
मालूम हो कि जनवरी 2024 में नगर पालिका परिषद के चेयरमैन कक्ष में अलाव जलाने को लेकर सभासद दीपक जायसवाल और कुछ लोगों के बीच विवाद हुआ था। इस मामले में नगर कोतवाली में दीपक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। बाद में दीपक जायसवाल ने पलटवार करते हुए सिविल कोर्ट में रामसूरत मौर्या सहित पांच लोगों के खिलाफ परिवाद दाखिल कर दिया।
इस प्रकरण में सिविल कोर्ट द्वारा पारित संज्ञान/समन आदेश दिनांक 10 फरवरी 2025 को जारी किया गया था। यह मामला थाना कोतवाली जनपद जौनपुर से संबंधित है, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 147 (बलवा) और 323 (मारपीट) के तहत आरोप लगाए गए थे।
अधिवक्ताओं का पक्ष
रामसूरत मौर्या और अन्य आवेदकों की ओर से अधिवक्ता कुमार अंकित श्रीवास्तव एवं हरीश कुमार श्रीवास्तव ने अदालत में यह तर्क दिया कि–
- शिकायत पूरी तरह से झूठी और दुर्भावनापूर्ण है।
- यह परिवाद एक काउंटर ब्लास्ट है क्योंकि इससे पूर्व 19 जनवरी 2024 को दर्ज मुकदमे में स्वयं शिकायतकर्ता अभियुक्त के रूप में नामजद है।
- आरोपों के समर्थन में कोई चिकित्सकीय प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
न्यायालय का निर्णय
माननीय उच्च न्यायालय ने प्रथम दृष्टया मामले को विचारणीय मानते हुए विपक्षी पक्ष से जवाब तलब किया। साथ ही कई महत्वपूर्ण आदेश भी पारित किए–
- निजी प्रतिवादी संख्या 2 को सीजेएम, जौनपुर के माध्यम से नोटिस जारी करने का निर्देश।
- विपक्षी पक्ष को तीन सप्ताह में प्रतिउत्तर दाखिल करने का आदेश।
- प्रतिउत्तर दाखिल होने के बाद एक सप्ताह में आवेदकों को प्रत्युत्तर प्रस्तुत करने का अवसर।
- मामले को आठ सप्ताह बाद सूचीबद्ध किए जाने का निर्देश।
सबसे महत्वपूर्ण यह कि अदालत ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए अगली सुनवाई तक आपराधिक कार्यवाही को स्थगित (स्टे) कर दिया है।
इस तरह वरिष्ठ भाजपा नेता रामसूरत मौर्या को फिलहाल बड़ी राहत मिल गई है और अब अगली सुनवाई में ही इस विवादास्पद मामले का आगे का रुख तय होगा।
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