डिजिटल लिटरेसी से सजेगा प्राथमिक शिक्षा का पाठ्यक्रम, ग्रामीण बच्चों को मिलेगा आधुनिक तकनीक का ज्ञान
आईआईटी से प्रशिक्षित शिक्षक अब बच्चों को सिखाएंगे एआई और कोडिंग
जौनपुर। प्रदेश के एलिमेंट्री एजुकेशन सिस्टम में अब बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। आधारभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान की तर्ज पर अब बच्चों को डिजिटल लिटरेसी और कंप्यूटेशनल थिंकिंग सिखाई जाएगी। यह पहल शिक्षा को आधुनिक तकनीकी आयामों से जोड़ने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकती है।एससीईआरटी, लखनऊ और आईआईटी कानपुर के संयुक्त तत्वावधान में शिक्षकों के लिए कंप्यूटर एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसके दूसरे चरण में 3 से 7 अक्टूबर तक आयोजित पाँच दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण में जौनपुर जनपद के पाँच शिक्षकों ने प्रतिभाग किया —
मछलीशहर से डॉ. संतोष तिवारी, सिकरारा से सुशील उपाध्याय, करंजाकला से सतीश मौर्य, जलालपुर से पूजा मालवीय और मनीषी श्रीवास्तव।
प्रशिक्षण के दौरान शिक्षकों को एआई (Artificial Intelligence), कोडिंग, ChatGPT, Google Gemini AI, MS Office, और Python जैसे आधुनिक डिजिटल टूल्स पर विशेषज्ञों द्वारा व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। अब ये प्रशिक्षित शिक्षक अपने-अपने विद्यालयों में विद्यार्थियों को एआई और कोडिंग की बुनियादी समझ देंगे, ताकि ग्रामीण परिवेश के बच्चे भी तकनीक की मुख्यधारा से जुड़ सकें।
आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने बताया कि यह कार्यक्रम शिक्षण को अधिक रोचक, संवादात्मक और व्यक्तिगत अनुभव में बदल देगा। अब शिक्षक और विद्यार्थी दोनों को एआई-सक्षम डिजिटल असिस्टेंट की सुविधा मिलेगी, जो विद्यार्थियों के प्रश्नों के त्वरित उत्तर देंगे, कठिन विषयों को आसान उदाहरणों और एनीमेशन के माध्यम से समझाएंगे तथा हर छात्र की सीखने की गति के अनुरूप सामग्री प्रस्तुत करेंगे।
एससीईआरटी के निदेशक ने कहा, “एआई अब शिक्षा का विकल्प नहीं, बल्कि सहयोगी बनने जा रहा है। यह तकनीक बच्चों के लिए सीखने की प्रक्रिया को और सरल, आकर्षक तथा प्रभावी बनाएगी।”
Gemini AI जैसे प्लेटफॉर्म अब गणित और विज्ञान के कठिन सिद्धांतों को दृश्य माध्यमों से समझाने में मदद करेंगे। विद्यार्थी अपने स्तर के अनुसार प्रश्न पूछ सकेंगे और उन्हें तुरंत स्पष्ट उत्तर प्राप्त होगा।
प्रशिक्षण के बाद इन शिक्षकों को सात सप्ताह का ऑनलाइन मॉड्यूल भी पूरा करना होगा, जिसके पश्चात विद्यालयों में डिजिटल लिटरेसी कार्यक्रम का शुभारंभ किया जाएगा। यह योजना मुख्यमंत्री की उस प्राथमिकता का हिस्सा है, जिसके तहत ग्रामीण परिवेश के विद्यार्थियों में तकनीकी जागरूकता और डिजिटल क्षमता को विकसित किया जा रहा है।
शैक्षिक जगत का मत है कि यह पहल उत्तर प्रदेश को एआई-आधारित शिक्षा प्रणाली में अग्रणी राज्य बना सकती है। आईआईटी कानपुर और एससीईआरटी लखनऊ का यह संयुक्त प्रयास शिक्षा व्यवस्था में नवाचार और तकनीकी सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।