उन्होंने बताया कि साइबर अपराधी डर और विश्वास इन दो भावनाओं को हथियार बनाकर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। ‘साइबर अरेस्ट’ जैसे नए-नए तरीक़े इसका जीवंत उदाहरण हैं जिनके माध्यम से लोग भय के कारण तुरंत अपराधियों के जाल में फँस जाते हैं। उन्होंने बताया कि आज के साइबर अपराधी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का प्रयोग कर रहे हैं जिससे वे बड़ी आसानी से लोगों का विश्वास जीत लेते हैं। 2026 में एआई का इस्तेमाल कर साइबर अपराधी बड़े पैमाने पर साइबर अपराध कर सकते हैं। ओटीपी मांगना पुराना पैटर्न हो चुका है और नए पैटर्न में मोबाइल हैक कर ओटीपी अपने आप हासिल कर ले रहे। ऐसे में केवल सतर्कता ही नहीं, बल्कि तकनीकी समझ और निरंतर जागरूकता भी अत्यंत आवश्यक है। अन्त में उन्होंने कहा कि साइबर अपराधों से लड़ाई केवल तकनीक या केवल जागरूकता से नहीं, बल्कि दोनों के समन्वय से ही जीती जा सकती है। समय की माँग है कि प्रत्येक नागरिक ‘पहले सत्यापन, फिर विश्वास’ की नीति अपनायें।
साइबर सुरक्षा के लिये कुछ सावधानियां
अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल को लॉक करके रखें। ईमेल का पासवर्ड मजबूत बनाएं और समय-समय पर बदलें। मोबाइल पर आने वाले किसी भी संदेश को ध्यान से पढ़ें और किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें। कोई फोन करके ओटीपी मांगे तो कभी न दें।, एपीके फाइल डाउनलोड न करें। अनजान नंबर से आने वाली वीडियो कॉल कभी रिसीव न करें। सोशल मीडिया पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें। अपने व्हाट्सएप की प्रोफाइल फोटो केवल अपनों तक सीमित रखें। अपना फोन नंबर और ईमेल आईडी सोशल मीडिया अकाउंट पर प्रदर्शित न करें। अपनी गतिविधियां तुरंत सोशल मीडिया पर साझा न करें। मोबाइल और कंप्यूटर में एंटी वायरस सॉफ्टवेयर जरूर रखें। साइबर कैफे के कंप्यूटर पर अपनी क्रेडिट डेबिट कार्ड से पेमेंट ना करें। ट्रूकॉलर जैसे ऐप अपने मोबाइल में इंस्टॉल करके रखें आने वाले कॉल से एक स्तर तक बचाव होता है। दूसरे के मोबाइल में अपनी ईमेल आईडी लॉगिन ना करें।