कूटरचित आदेश बनाकर दूसरे को लाभ पहुँचाने का खेल बेनक़ाब—चकबंदी विभाग के दो कर्मचारी गिरफ्तार
खेतासराय क्षेत्र के संबुलपुर निवासी मो. अल्कमा खान ने न्यायालय में याचिका दाखिल कर बताया कि गयासुद्दीन द्वारा निगरानी संख्या 4936/2016 के नाम पर एक आदेश पेश किया गया, जिसमें दिखाया गया कि मामला वर्ष 1992 के आदेश के विरुद्ध दाखिल हुआ था और उस पर निर्णय 06.09.2016 को पारित हुआ। लेकिन जब इसकी वास्तविकता जानी गई तो पूरा मामला संदिग्ध निकला। अल्कमा खान की शिकायत पर उपसंचालक चकबंदी जौनपुर ने जांच कराई। दिनांक 13.02.2018 की रिपोर्ट में साफ लिखा गया कि निगरानी संख्या 4936/2016 की कोई भी पत्रावली न्यायालय के अभिलेख में दर्ज नहीं है। यह कूटरचित पत्रावली है, जिसे लाभार्थी गयासुद्दीन को लाभ दिलाने के उद्देश्य से बनाया गया।
फर्जी आदेश को चकबंदी अधिकारी बदलापुर के न्यायालय से राजस्व अभिलेखागार में दाखिल करा दिया गया था। जांच में यह भी सामने आया कि 06.09.2016 का कथित आदेश उपसंचालक चकबंदी जौनपुर के कोर्ट रिकॉर्ड में न तो दर्ज था और न ही ऐसा कोई वाद चला था। 11.01.2018 की विस्तृत आख्या में बताया गया कि फर्जी आदेश बनाने और उसे दाखिल कराने में पेशकार बलराम मौर्य अनुचर (कर्मचारी) कृष्ण मुरारी की मिलीभगत पाई गई। बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी जौनपुर ने 29.01.2018 को कूटरचित आदेश को निरस्त करने की संस्तुति करते हुए पूरी कार्रवाई को गंभीर धोखाधड़ी करार दिया।
पूरे प्रकरण के आधार पर खेतासराय थाने में मु.अ.सं. 213/2025 धारा 419, 420, 467, 468, 471, 386, 504, 506, 120 बी IPC में मुकदमा दर्ज हुआ। थानाध्यक्ष प्रदीप कुमार सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम ने शनिवार को दोनों आरोपियों को कृष्ण मुरारी, अनुचर को कलेक्ट्रेट परिसर, जौनपुर से धरदबोचा पूर्व पेशकार बलराम मौर्य को कलेक्ट्रेट परिसर गेट, अयोध्या से गिरफ्तार किया गया।

