माँ संतान की प्रथम गुरु होती है : डॉ रजनीकांत

 

जौनपुर । जाने-माने कथावाचक व्यास डॉ रजनीकांत द्विवेदी ने गुरुवार को कहा कि जब बच्चा पैदा होता है तो उसकी प्रथम गुरु के रूप में मां होती है ,मां के ही आदेश निर्देश पर  बच्चा काम करता है और जीव जब-जब माया का आश्रय लेता है तब-तब बंधनों से बंध जाता है और जब वह नारायण का आश्रय प्राप्त करता है तो बंधन से मुक्त हो जाता है।

                           यह विचार कथावाचक व्यास डॉ.रजनी कान्त द्विवेदी जी महाराज ने वरिष्ठ पत्रकार एवं अधिवक्ता यादवेन्द्र चतुर्वेदी के पुरानी बाजार स्थित आवास पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के अवसर व्यक्त किया। उन्होंने यह भी बताया कि कलयुग में भी भगवान की प्राप्ति संभव है यदि मनुष्य भक्ति के मार्ग पर चलते हुए मानव जीवन को पूर्ण करे ।कथा व्यास ने भक्त प्रहलाद,ध्रुव एवं वामन भगवान की कथा का सविस्तार वर्णन किया। कथा में काशी से आए सरयुपारी ब्राह्मण परिषद के अध्यक्ष पारस नाथ उपाध्याय जी का मुख्य यजमान  जितेंद चतुर्वेदी,मिलन चतुर्वेदी ने आप का स्वागत अभिनंदन किया ।कथा में मुख्य रूप से डॉ वी एस उपाध्याय की पत्नी ममता उपाध्याय,शर्मिला सिन्हा,दिवाकर पाठक ,लायंस हेमा ,लायंस सुधा लायंस संगीता, डॉ रामसूरत मौर्या,देवेंद्र नाथ श्रीवास्तव,अमर नाथ उपाध्याय, डॉ प्रकाश चन्द्र ,राधेकृष्ण ,,धीरेंद्र,कपिलअभिनव आदि उपस्थित थे।

                                                     

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