उन्होंने कहा कि अल्लाह ने मोहम्मद से वादा किया था कि तुम्हारे सभी दुश्मन खत्म कर दिये जाएंगे उनका नाम लेने वाला कोई नहीं रहेगा और इमाम हुसैन अ.स. की कुर्बानी के बाद ऐसा ही हुआ और यह कुर्बानी सिर्फ फातमा के घर वालों ने दी है। उन्होंने कहा कि यह घर अल्लाह के कितना करीब है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अल्लाह ने अपने सभी सिफात को इसी घर से मंसूब किया और महमूदियत की पहचान मोहम्मद, आला की पहचान अली, फातिर होने की पहचान फातमा, मोहसिन होने की पहचान हसन और एहसान करने का सिफात हुसैन को अता किया। अल्लाह फातिर है उसने संसार को बनाया लेकिन जिसके सदके में बनाया वोह मोहम्मद की बेटी फातमा है। ज़मीन से लेकर आसमान तक जो कुछ भी बनाया है सबकुछ जनाबे फातमा के सदके में ही बनाया है और इसका सबूत हदीसे किसा में मोहम्मद से लेकर हुसैन तक की पहचान जनाबे फातमा के जरिए करवाकर सबूत भी दे दिया। उन्होंने कहा कि इस्लाम सलामती,अदल और इंसाफ तथा दयानतदारी का मजहब है।
उन्होंने कहा कि हदीसे रसूल है कि जिसने फातमा को राजी किया उसने मोहम्मद को राजी किया और जिसने मोहम्मद को राजी किया उससे अल्लाह राज़ी हुआ। यही वजह है कि अल्लहा ने इस घराने के हाथ में इतनी ताकत दे रखी है कि ये जो भी कह दें वोह फौरन हो जाता है। लेकिन ज़माने के लोगों ने इस घराने की अज़मत को नहीं समझा और निरंतर इस घराने पर जुल्म भी किया गया। कर्बला इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरूआत मेंहदी जैदी व उनके हमनवां की सोजख्वानी से हुई। जिसके बाद शोहरत जौनपुरी, शाहिद हुसैन तल्ख जौनपुरी, शहंशाह जौनपुरी आर हुसैन ने बारगाहे अहलेबैत में अपने कलाम पेश किये। अंजुमन शमशीरे हैदरी के नौहेखा शहज़ादे सदर इमामबाड़ा ने दर्द भरे नौहा पेश किया। इस मौके पर मौलाना अली अब्बास, मौलाना शेख हसन जाफर, मौलाना मुबाशिर, वकार हुसैन, ज्ञान कुमार, राजेश श्रीवास्तव, शाहिद मेहदी, मेराज हैदर, अजादार हुसैन कंम्पू, शावेज़, आरिफ अनस, अब्दुल हक़ अंसारी, मोहम्मद रशीद सहित अन्य लोग मौजूद थे। संचालन डॉ. इंतजार मेहंदी शोहरत ने किया। आयोजक सैय्यद अंजार क़मर पप्पू, सै. हसनैन कमर 'दीपू', सै.अफ़रोज़ क़मर ने आये हुए लोगों का आभार व्यक्त किया।